raksha bandhan rakhi par nibandh essay in hindi

भाई बहन का त्यौहार ! रक्षा बंधन पर निबंध

Essay on Raksha Bandhan in Hindi l Raksha Bandhan Par Nibandh For Students l Rakhi Par Nibandh

                                                                                                      (Paragraph, 10 Lines, anuched , Lekh)

Language : Marathi , Gujarati 

Essay on Rakhi in Hindi : दोस्तों आज हमने रक्षा बंधन पर निबंध  कक्षा (Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है. Get Some Essay on Raksha Bandhan in Hindi For Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 & 12 Students.

प्रस्तावना : रक्षा बंधन (राखी ) हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है जो पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। इस त्योहार को राखी का त्योहार भी कहा जाता है। आज हम  इस आर्टिकल में इस अनमोल त्यौहार के बारे में जानेंगे।

यह रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।पूरे भारत में इस दिन का माहौल देखने लायक होता हैं  और  होगी भी क्यों नहीं, यही तो एक ऐसा विशेष दिन है जो भाई बहन केलिए बना है।

रक्षा बंधन भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक हैं। यूं कहे तो भारत में भाई बहनों  के बीच प्रेम और कर्तव्य कि भूमिका जताना किसी एक दिन कि मोहताज नहीं हैं। परन्तु रक्षा बंधन की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से ही यह दिन इतना महत्वपूर्ण बना गया।

रक्षा बंधन के दिन क्या करते है

इस दिन सभी बहने अपने भाइयों को कलाई पर राखी बांधती हैं। बहने पूजा  कि थाली को कुम कुम,दिया, चावल, मिठाई और राखी से सजाती हैं। वह अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती है।

उनकी कलाई पर राखी बांधती है। वह भाइयों को मिठाई खिलाते है और उन केलिए शुभ कामनाएं करते है। भाई भी बहन को उपहार भेंट करते है और उनकी हर समय रक्षा करने कि प्रण लेते हैं।

रक्षा बंधन के पीछे का इतिहास

भाई बहन का रिश्ता अनमोल होता है। सावन का महीना आते ही दुनिया भर के भारतीय जन राखी की तारीक़ जानने के लिए उत्सुक हो जाते है। कोई भी रिश्तेदारी ना होने के बावजूद भी राखी से भाई बहन का रिश्ता निभाने का मौका मिलता है।

राखी का इतिहास तो हमे महाभारत की युग से ही देखने को मिलता है। अब हम महाभारत कि कहानी जानेंगे।

भगवान श्री कृष्ण को श्रुत देवी नाम कि चाची थी। उन्होने शिशुपाल नामक एक विकृत रूप के बच्चे को जन्म दिया। बड़ो से उन्हें पता चलता है कि जिसके स्पर्श से शिशुपाल अच्छा और स्वास्थ्य होगा,  उसीके हाथो मारा जाएगा।

एक दिन श्री कृष्ण अपनी चाची के घर गए थे। जैसे ही श्रुतदवी ने श्री कृष्ण के हाथों में  अपने बेटे को रखी वह बच्चा सुंदर हो गया।

माना कि श्रुत देवी इस बदलाव को देख कर खुश होगई थी लेकिन उसकी मौत श्री कृष्ण के हाथों होने कि संभावना से वह विचलित होगई थी। वह श्री कृष्ण से प्रार्थना करने लगी कि भले ही शिशुपाल कोई गलती कर बैठे लेकिन  श्री कृष्ण के हाथों शिशु पाल को सजा नहीं मिलनी चाहिए।

तो श्री कृष्ण ने अपनी चाची से वादा किया कि”मै  उसकी गलतियों को माफ कर दूंगा लेकिन वो अगर सौ से अधिक गलतियां कर बैठेगा तो उसको अवश्य सजा दूंगा”।शिशु पाल बड़ा होकर चेदी नामक एक राज्य का राजा बन गया था। वो एक राजा भी था और साथ ही श्री कृष्ण के रिश्तेदार भी था। लेकिन वो बहुत क्रूर राजा बन गया।

अपने राज्य के लोगों को सताने लगा। भगवान श्री कृष्ण को बार बार चुनौती देने लगा। एक समय तो उसने भरी राज्य सभा में ही भगवान  श्री कृष्ण कि निंदा की। उस दिन शिशुपाल ने अपने सौ गलतियों कि सीमा पार कर दी थी।

तुरंत ही भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र कि सिशुपल के ऊपर प्रयोग कर दिया।  बहुत चेतावनी मिलने के बाद भी शिशुपाल ने अपने  गुण नहीं बदले  इसलिए अंत में  उसको सजा भुगतनी पड़ी।

भगवान श्री कृष्ण जब क्रोध से अपने सुदर्शन चक्र को छोड़ रहे थे उनके उंगली में भी चोट लगी थी। कृष्ण के आस पास के लोग  घाव पर कुछ बांधने के लिए इधर उधर ढूंढते भागने लगे लेकिन वहा पर  खड़ी रही द्रौपदी कुछ सोचे समझे बिना अपनी साड़ी के कोने को फ़ाड़ कर कृष्ण के घाव पर लपेट दी। तब श्री कृष्ण ने कहा “शुक्रिया प्यारी बहना तुम ने मेरे कष्ठ समय में मेरा साथ दिया।

तो मैं  भी तुम्हारे कष्ट में साथ देने कि वादा  करता हूं”। ये बात कहके श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उनकी रक्षा  करने का आश्वासन दिया था और इस घटना से रक्षा बंधन का प्रारंभ शुरू हुआ।

बाद में जब कौरवों  ने पूरी राज्य सभा में सबके सामने द्रौपदी कि साड़ी खींचा , द्रौपदी को  अपमान से बचाकर अपना वादा कृष्ण ने निभाया।  उस समय से लेकर  बहने अपने भाइयों को राखी बांध रहे हैं और बदले में भाई जीवन भर बहन कि रक्षा  करने का शपथ करते  आरहे है। सावन मास की पूर्णिमा पर राखी के अलावा कुछ और त्यौहार भी मनाए जाते है।

कुछ लोग इसी दिन अपने यज्ञोपवीत बदलते हैं। इसलिए इस दिन को  जन्द्याल पूर्णिमा भी कहते है। इस दिन ओडिसा और पश्चिम बंगाल में कुछ लोग राधा और कृष्ण के मूर्तियों को पालने में रख कर  झूला झुलाते  है।

इसलिए इस  दिन को  झूलन पूर्णिमा भी कहते है।उत्तर भारत के कुछ राज्यों में इस दिन पर गेहूं के बीज बोते है इस लिए इस  दिन को  गजरी पूर्णिमा के नाम से पहचाना जाता है।

केरल और महा राष्ट्र के लोग इस दिन  को नारली पूर्णिमा  भी बुलाते है। इस दिन वे लोग समुद्र देवता की पूजा करते है। माना कि इस दिन  कई तरह के उत्सव  मनाते है लेकिन उनमें से लोक प्रिय और प्रमुख है रक्षा बंधन।

रक्षा बंधन की विशेषता

रक्षा बंधन का पर्व विशेष रूप से भावनाओं और संवेदनाओं का पर्व है।एक ऐसा बंधन जो दो जनो को स्नेह की धागे से बांध लेती है।रक्षा बंधन रक्षा करने के वचन का प्रतीक है।

त्योहार के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है। इस राखी के धागे को पवित्र माना जाता है क्योंकि यह अपनी बहन को किए गए भाई के वचन की याद दिलाता है कि वह उसकी मृत्यु तक  रक्षा करेगा।

निष्कर्ष : आज के इस  भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अपने  काम में व्यस्त रहते है। परन्तु रक्षा बंधन जैसे त्यौहार हमे  इस  व्यवस्था से कुछ पल कि  मुक्ति दिलाकर  अपने प्रिय जनों से मिलने का अवसर प्रदान करते है। इसीलिए  ये  है सबका प्यारा त्यौहार रक्षा बंधन।


Short Essay / Nibandh on Raksha Bandhan in Hindi in [250 Words] l Raksha Bandhan Par Anuched l Rakhi Par Anuched

परिचययह रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।पूरे भारत में इस दिन का माहौल देखने लायक होता हैं  और  होगी भी क्यों नहीं, यही तो एक ऐसा विशेष दिन है जो भाई बहन केलिए बना है।

रक्षा बंधन भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक हैं। यूं कहे तो भारत में भाई बहनों  के बीच प्रेम और कर्तव्य कि भूमिका जताना किसी एक दिन कि मोहताज नहीं हैं। परन्तु रक्षा बंधन की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से ही यह दिन इतना महत्वपूर्ण बना गया।

राखी का इतिहास

एक बार की बात है, देवताओं और असुरों में युद्ध आरंभ हुआ। युद्ध में हार के परिणाम स्वरूप, देवताओं ने अपना राज-पाठ सब युद्ध में गवा दिया। अपना राज-पाठ पुनः प्राप्त करने की इच्छा से देवराज इंद्र देवगुरु बृहस्पति से मदद की गुहार करने लगे। तत्पश्चात देव गुरु बृहस्पति ने श्रावण मास के पूर्णिमा के प्रातः काल में निम्न मंत्र से रक्षा विधान संपन्न किया।

“येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे मा चल मा चलः।”

इस पुजा से प्राप्त सूत्र को इंद्राणी ने इंद्र के हाथ पर बांध दिया। जिससे युद्ध में इंद्र को विजय प्राप्त हुआ और उन्हें अपना हारा हुआ राज पाठ दुबारा मिल गया। तब से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।

राखी की विशेषता

रक्षा बंधन का पर्व विशेष रूप से भावनाओं और संवेदनाओं का पर्व है।एक ऐसा बंधन जो दो जनो को स्नेह की धागे से बांध लेती है।रक्षा बंधन रक्षा करने के वचन का प्रतीक है।

त्योहार के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है।इस राखी के धागे को पवित्र माना जाता है क्योंकि यह अपनी बहन को किए गए भाई के वचन की याद दिलाता है कि वह उसकी मृत्यु तक  रक्षा करेगा।

निष्कर्ष : उपयुक्त पौराणिक कथा से यह स्पष्ट है की रेशम के धागे को केवल बहन ही नहीं अपितु गुरु भी अपने यजमान की सलामति की कामना करते हुए उसे बांध सकते हैं।


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Top 10 Lines on Raksha Bandhan – 10 Lines on Raksha Bandhan for students and Kids of Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.

 

  1. रक्षा बंधन भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है।
  2. यह त्योहार केवल भाइयों और बहनों द्वारा मनाया जाता है।
  3. यह उन लोगों के लिए एक अद्भुत है जो अपने भाई से बहुत प्यार करते हैं।
  4. रक्षा बंधन के दिन बहनें कुमकुम, दीया, चावल, मिठाई और राखी के साथ पूजा थाली तैयार करती हैं।
  5. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर एक विशेष धागा बांधती है।
  6. बदले में एक भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए एक लंबी उम्र की कसम खाता है।
  7. बहन भी अपने भाई की सुरक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करती है।
  8. मिठाई और उपहारों का आदान-प्रदान भी रक्षा बंधन त्योहार का महत्वपूर्ण रिवाज है।
  9. इस दिन पूरे परिवार में खुशी का माहौल होता है और इस दिन घर में विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं।
  10. यह त्यौहार भाई और बहन के रिश्ते के प्यार, प्यार के बंधन को दर्शाता है।

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