10+ Best Short Poem/Kavita on Diwali in Hindi

आप सभी को दिवाली की ढेर सारी बधाईया, दीवाली भारतीय रोशनी का त्योहार है, जो आमतौर पर पांच दिनों तक चलता है और हिंदू  माह कार्तिका के दौरान मनाया जाता है। हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक, दिवाली आध्यात्मिक “अंधेरे पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई, और अज्ञान पर ज्ञान” का प्रतीक है।

लोगों को दीपावली की कविताएँ भेजना बहुत ही अच्छा लगता है। आज के समय में भी जो घर के बड़े लोग हैं उन्हे दिवाली पर कविता बोलना सुनना पसंद है। इसलिए मैं आपके सामने दिवाली पर कविता लेकर आया हूँ.

दीपावली पर कविता सभी राज्य में बोली जाती है। छोटे बच्चों के स्कूल आदि में दिवाली के त्यौहार पर कविताएं बोली जाती है. दिवाली पर बच्चों के लिए कवितायें और बड़े भी चाहे तो बड़ों के लिए दिवाली पर कविता प्रस्तुत है| दिवाली पर कविताएं निम्नलिखित है

Diwali / Dipawali Poem Kavita in Hindi 2023 

बच्चों के लिए दिवाली पर 11 हिंदी कविताएँ

Short Poems on Diwali in Hindi

(1)

हर घर, हर दर, बाहर, भीतर,
नीचे ऊपर, हर जगह सुघर,
कैसी उजियाली है पग-पग,
जगमग जगमग जगमग जगमग!

छज्जों में, छत में, आले में,
तुलसी के नन्हें थाले में,
यह कौन रहा है दृग को ठग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!

पर्वत में, नदियों, नहरों में,
प्यारी प्यारी सी लहरों में,
तैरते दीप कैसे भग-भग!
जगमग जगमग जगमग जगमग!

राजा के घर, कंगले के घर,
हैं वही दीप सुंदर सुंदर!
दीवाली की श्री है पग-पग,
जगमग जगमग जगमग जगमग !

(2)

जलाई जो तुमने-
है ज्योति अंतस्तल में ,
जीवन भर उसको
जलाए रखूंगा

तन में तिमिर कोई
आये न फिर से,
ज्योतिर्मय मन को
बनाए रखूंगा.

आंधी इसे उडाये नहीं
घर कोइ जलाए नहीं
सबसे सुरक्षित
छिपाए रखूंगा.

चाहे झंझावात हो,
या झमकती बरसात हो
छप्पर अटूट एक
छवाए रखूंगा

दिल-दीया टूटे नहीं,
प्रेम घी घटे नहीं,
स्नेह सिक्त बत्ती
बनाए रक्खूँगा.

मैं पूजता नो उसको ,
पूजे दुनिया जिसको ,
पर, घर में इष्ट देवी
बिठाए रखूंगा.

—डा. कमल किशोर सिंह

Long Poems on Diwali in Hindi

(3)

मनानी है ईश कृपा से इस बार दीपावली,
वहीं……… उन्हीं के साथ जिनके कारण
यह भव्य त्योहार आरम्भ हुआ …….
और वह भी उन्हीं के धाम अयोध्या जी में,

अपने घर तो हर व्यक्ति मना लेता है दीपावली
परन्तु इस बार यह विचित्र इच्छा मन में आई है……….
हाँ …छोटी दीवाली तो अपने घर में ही होगी,
पर बड़ी रघुनन्दन राम सियावर राम जी के साथ |

कितना आनन्द आएगा जब जन्म भूमि में
रघुवर जी के साथ मैं छोड़ूँगा पटाखे और फुलझड़ियाँ…….
जब मैं उनकी आरती करूँगा
जब मैं दीए उनके घर में जलाऊंगा
उस आनन्द का कैसे वर्णन करूँ जो
इस जीवन को सफल बनाएगा |

मैं गर्व से कहूँगा कि हाँ मैने इस जीवन का
सच्चा आनन्द आज ही प्राप्त किया है
अपलक जब मैं रघुवर को जब उन्हीं के भवन में
निहारूँगी वह क्षण परमानन्द सुखदायी होंगें |

हे रघुनन्दऩ कृपया जल्द ही मुझे वह दिन दिखलाओ
इन अतृप्त आँखों को तृप्त कर दो
चलो इस बार की दीपावली मेरे साथ मनाओ
इच्छा जीने की इसके बाद समाप्त हो जाएगी
क्योंकि सबसे प्रबल इच्छा जो मेरी तब पूरी हो जाएगी|

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(4)

आओ मिलकर दीप जलाएं
अँधेरा धरा से दूर भगाएं
रह न जाय अँधेरा कहीं घर का कोई सूना कोना
सदा ऐसा कोई दीप जलाते रहना
हर घर -आँगन में रंगोली सजाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं.

हर दिन जीते अपनों के लिए
कभी दूसरों के लिए भी जी कर देखें
हर दिन अपने लिए रोशनी तलाशें
एक दिन दीप सा रोशन होकर देखें
दीप सा हरदम उजियारा फैलाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं.

भेदभाव, ऊँच -नीच की दीवार ढहाकर
आपस में सब मिलजुल पग बढायें
पर सेवा का संकल्प लेकर मन में
जहाँ से नफरत की दीवार ढहायें
सर्वहित संकल्प का थाल सजाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएं
अँधेरा धरा से दूर भगाएं.

— कविता रावत

Poems on Diwali in Hindi For Class 1 to 12

(5)

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,
है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए,

रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,

आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

मैं तपोमय ज्योति की, पर, प्यास मुझको,
है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,

स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा,
कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा,

किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

Poems on Diwali in Hindi For Class 8 

(6)

गणपति गणना कर रहे, सरस्वती के साथ |
लक्ष्मी साधक सब दिखें, सबको धन की आस ||

ज्ञान उपासक कम मिले, खोया बुद्धि विवेक |
सरस्वती को पूजते, मानव कुछ ही एक||

लक्ष्मी वैभव दे रहीं, वाहक बने उलूक |
दोनों हाथ बटोरते, नहीं रहे सब चूक ||

अविनाशी सम्पति मिले, हंसवाहिनी संग |
आसानी से जो मिले, छेड़े आगे जंग ||

लक्ष्मी हंसा पर चलें, ऐसा हो संयोग |
सुखमय भारत देश हो, आये ऐसा योग ||

जन जन में सहयोग हो, देश प्रेम का भाव |
हे गणेश कर दो कृपा, पार करो अब नाव ||

हम सबकी ये प्रार्थना, उपजे ज्ञान प्रकाश |
दीपों के त्यौहार में, हो सबमें उल्लास ||

–अम्बरीष श्रीवास्तव

Deepavali Poem in Hindi

(7)

इस दिवाली मैं नहीं आ पाऊँगा,
तेरी मिठाई मैं नहीं खा पाऊँगा,
दिवाली है तुझे खुश दिखना होगा,
शुभ लाभ तुझे खुद लिखना होगा |

तू जानती है यह पूरे देश का त्योहार है
और यह भी मां कि तेरा बेटा पत्रकार है|

मैं जानता हूँ,
पड़ोसी के बच्चे पटाखे जलाते होंगे,
तोरन से अपना घर सजाते होंगे,
तु मुझे बेतहाशा याद करती होगी,
मेरे आने की फरियाद करती होगी |

मैं जहाँ रहूँ मेरे साथ तेरा प्यार है,
तू जानती है न माँ तेरा बेटा पत्रकार है|

भोली माँ मैं जानता हूँ,
तुझे मिठाईयों में फर्क नहीं आता है,
मोलभाव करने का तर्क नहीं आता है,
बाजार भी तुम्हें लेकर कौन जाता होगा,
पूजा में दरवाजा तकने कौन आता होगा|

तेरी सीख से हर घर मेरा परिवार है
तू समझती है न माँ तेरा बेटा पत्रकार है|

मैं समझता हूँ,
माँ बुआ दीदी के घर प्रसाद कौन छोड़ेगा,
अब कठोर नारियल घर में कौन तोड़ेगा,
तू गर्व कर माँ……..
कि लोगों की दिवाली अपनी अबकी होगी,
तेरे बेटे के कलम की दिवाली सबकी होगी |

लोगों की खुशी में खुशी मेरा व्यवहार है
तू जानती है न माँ तेरा बेटा पत्रकार है

Diwali Poem in Hindi Of 10 Lines

(8)

हर घर दीप जग मगाए तो दिवाली आयी हैं,
लक्ष्मी माता जब घर पर आये तो दिवाली आयी हैं!
दो पल के ही शोर से क्या हमें ख़ुशी मिलेंगी,
दिल के दिए जो मिल जाये तो दिवाली आयी हैं !
घर की साफ सफ़ाई से घर चमकाएँ तो दिवाली आयी हैं,
पकवान – मिठाई सब मिल कर खाएं तो दिवाली आयी हैं!
फटाकों से रोशनी तो होंगी लेकिन धुँआ भी होंगा,
दिए नफ़रत के बुज जाएँ तो दिवाली आयी हैं!
इस दिवाली सबके लिए यही सन्देश हैं की
इस दिवाली हम लक्ष्मी का स्वागत दियों के करे,
फटाकों के शोर और धुएं से नहीं
इस बार दिवाली प्रदुषण मुक्त मनायेंगे!

Best Poems on Diwali in Hindi Language

(9)

ये प्रकाश का अभिनन्दन है
अंधकार को दूर भगाओ
पहले स्नेह लुटाओ सब पर
फिर खुशियों के दीप जलाओ

शुद्ध करो निज मन मंदिर को
क्रोध-अनल लालच-विष छोडो
परहित पर हो अर्पित जीवन
स्वार्थ मोह बंधन सब तोड़ो
जो आँखों पर पड़ा हुआ है
पहले वो अज्ञान उठाओ
पहले स्नेह लुटाओ सब पर
फिर खुशिओं के दीप जलाओ

जहाँ रौशनी दे न दिखाई
उस पर भी सोचो पल दो पल
वहाँ किसी की आँखों में भी
है आशाओं का शीतल जल
जो जीवन पथ में भटके हैं
उनकी नई राह दिखलाओ
पहले स्नेह लुटाओ सब पर
फिर खुशियों के दीप जलाओ

नवल ज्योति से नव प्रकाश हो
नई सोच हो नई कल्पना
चहुँ दिशी यश, वैभव, सुख बरसे
पूरा हो जाए हर सपना
जिसमे सभी संग दीखते हों
कुछ ऐसे तस्वीर बनाओ
पहले स्नेह लुटाओ सब पर
फिर खुशियों के दीप जलाओ

–अरुण मित्तल ‘अद्भुत’

Popular Poems on Diwali in Hindi For College Students 

(10)

जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।
लिपा-पुता होगा घर-आंगन,
द्वारे-द्वारे गेरू वंदन।

दीप जलेंगे तब भागेगा,
अंधियारा डरकर।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।

खूब जलाएंगे हम सब मिल,
महताबें, फुलझड़ियां।
बिखर जाएंगी धरती पर ज्यों,
हों फूलों की लड़ियां।

उड़ जाएंगे दूर गगन में,
रॉकेट सर सर सर…।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।

गांवों के ऐसे गरीब जो,
नहीं मिठाई खाते।
दीप पर्व पर ही बेचारे,
भूखे ही सो जाते।

खील‍-खिलौने बांटेंगे हम
उनको जी भरकर।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।
– डॉ. देशबंधु शाहजहांपुरी…

Diwali Poem For Nursery Class in Hindi

(11)

सुना है राम
कि तुमने मारा था मारीच को
जब वह
स्वर्ण मृग बन दौड़ रहा था
वन-वन।
सुना है
कि तुमने मारा था रावण को
जब वह
दुष्टता की हदें पार कर
लड़ रहा था तुमसे
युध्य भूमी में

सोख लिए थे तुमने उसके अमृत-कलश
अपने एक ही तीर से
विजयी होकर लौटे थे तुम
मनी थी दीवाली
घर-घर।
मगर आज भी
जब मनाता हूँ विजयोत्सव
जलाता हूँ दिये
तो लगता है कि कोई
अंधेरे में छुपकर
हंस रहा है मुझपर
फंस चुके हैं हम
फिर एक बार
रावण-मारीच के किसी बड़े षड़यंत्र में।

आज भी होता है
सीता हरण
और भटकते हैं राम
घर में ही
निरूपाय
नहीं होता कोई
लक्ष्मण सा अनुज
जटायू सा सखा
या हनुमान सा भक्त

लगता है
सब मर चुके हैं तुम्हारे साथ
जीवित हैं तो सिर्फ
मारीच और रावण !
तुम सिर्फ एक बार अवतरित हुए हो
और समझते हो कि सदियों तक
तुम्हारे वंशज
मनाते रहें
विजयोत्सव !
आखिर तुम कहाँ हो मेरे राम ?

–देवेन्द्र पाण्डेय

मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|

आभारी हूँ तुमने आकर
मेरा ताप-भरा तन देखा,
आभारी हूँ तुमने आकर
मेरा आह-घिरा मन देखा,
करुणामय वह शब्द तुम्हारा–
’मुसकाओ’ था कितना प्यारा।
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|

है मुझको मालूम पुतलियों
में दीपों की लौ लहराती,
है मुझको मालूम कि अधरों
के ऊपर जगती है बाती,
उजियाला कर देने वाली
मुसकानों से भी परिचित हूँ,
पर मैंने तम की बाहों में अपना साथी पहचाना है।
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|

Diwali Poem in Sanskrit 

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