एक बार एक Raja को अपने उस मंत्री की परीक्षा (Exam) लेने की सूझी जो किसी भी हालत में झूट नहीं बोलता था, भरे दरबार में राजा ने अपने हाथ के पंजे में एक पक्षी को लिया और मंत्री से पूछा – बताओ ये पक्षी जिन्दा है या मृत ?
मंत्री के सम्मुख ये बहुत ही नयी तथा बहुत ही विचित्र परीक्षा की घडी थी, यदि अगर मंत्री कहेता की पक्षी जिन्दा है तो राजा पंजा दबा कर उस पक्षी को मार देंगे, और अगर वो कहेता की पक्षी मृत है, तो राजा पंजा खोलकर उस पक्षी को उड़ा देंगे | मंत्री के दोनों ही उत्तर झूठा ठहराए जाने की पूरी संभावनाए थी.
आखिर कर मंत्री ने फेसला किया की यदि मेरे एक झूठ से पक्षी के प्राण बच सकते हैं तो, तो ये झूठ भी मंजूर है मुझे.
मंत्री ने कहा हे सम्राट आपके पंजे में जो पक्षी है वो मृत है, ऐसा सुनते ही राजा ने तुरंत अपना पंजा खोल दिया और वो पक्षी उड़ गया, राजा ने कहा मंत्री जी आज तो तुमने झूठ बोल ही दिया | मंत्री ने जवाब दिया – महाराज, यदि मेरे इस झूठ से इस निर्दोष पक्षी की जान बच गयी है तो यह झूठ बोलकर भी में विजयी हूँ, अगर मेरे झूठ से किसी की जान बचती है तो मुझे ये हार भी मंजूर है, और इस हार पे भी में विजयी हूँ अपने नजरों में.
इस उत्तर से राजा बहुत खुश हुए और भरे दरबार में सभी लोग मंत्री की तारीफ करने पर विवश हो गये.
Moral of this Story
मित्रों उपरोक्त ये Hindi Kahaniya बताती है की कल्याण के लिए बोला गया झूठ, कई बार सत्य से भी बढ़कर होता है, सत्य लचीला होता है, या व्यक्ति, समय, स्थान, और परिस्तिथि को परख कर निरधारित होता है, एक व्यक्ति के सम्बन्ध (नजरों) में जो झूठ है, वही दुसरे के सम्बन्ध (नजरों) में कल्याणकारी हो सकता है, इसको राहत चिंतन करके समझने की आवश्यकता है.
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