कहा जाता है कि कलयुग में प्रेम सिर्फ इंसान के तन से होता है, मन से नही। अगर कोई मनुष्य का रंग काला है या फिर उस मनुष्य का तन साफ व खूबसूरत नही है तो उससे कोई प्रेम नही करता।
प्रेम तो दूर की बात है जनाब, कोई उससे बात तक करना पसंद नही करता। इसीलिए कहा जाता है कि वर्तमान में मनुष्य सिर्फ बाहरी त्वचा की सुंदरता व खूबसूरती से प्रेम करता है, उसके मन की सुंदरता से नही।
यहाँ तक कि हम सभी भी ऐसा ही सोचते है या फिर करते है। हम सभी चाहते है कि हमारी प्रेमिका सुंदर व खूबसूरत हो। मन से हमें कोई मतलब नही होता।
लेकिन पहले के समय में ऐसा नही था। प्राचीन काल में इंसान बाहरी सुंदरता से ज्यादा गुणों को महत्व देता था। बहुत से ऐसे उदाहरण है जिन्होंने साथ में प्रेमपुर्वक जीवन व्यतीत किया। तथा मृत्यु पश्चात भी उनसे बेइन्तहा मोहब्बत की।
दोस्तों आज हम आपके लिए एक ऐसी ऐतिहासिक स्थान की जानकारी लेकर आये है। जो कि प्रेम का उल्लेखनीय उदाहरण है। जी हां दोस्तों, हम प्यार की मूर्ति ताजमहल के बारे में बात कर रहे है।
ताजमहल को प्रेम की मिशाल माना जाता है। ताजमहल विश्व के सात अजूबों में से एक है। यह भारत देश के गौरव का प्रतीक है। ताजमहल, भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारें स्थित है।
ताज़महल का आधार एक लकड़ी पर स्थित है। हम जैसे आगरा शहर का नाम सुनते है तो हमारे दिमाग में सबसे पहले ताजमहल की छवि आती है। आगरा सिर्फ ताजमहल के लिए ही प्रसिद्ध है।आगरा शहर मुग़लों की पसंदीदा जद थी। इसी कारण दिल्ली से पहले उनकी राजधानी आगरा थी।
आगरा शहर को मुगल सम्राट इब्राहिम लोदी ने सन 1504 ई. में बसाया था। आगरा शहर दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। ताजमहल विश्व की सबसे सुंदर इमारतों में से एक है।
जिसे देखने के लिए विश्व के चारों कोनों से पर्यटक आते है। यह स्मारक भवन निर्माण कला के रूप से अत्यंत आकर्षक व बेजोड़ है। ताज़महल को 28 प्रकार के बेश-कीमती पत्थरों से सजाया गया था जिन्हें कईं देशों से मंगाया गया था। बाद में इन रत्नों को अंग्रेजों ने निकल लिया था।
ताजमहल का इतिहास
ताजमहल का निर्माण पांचवे मुग़ल शासक शाहजहाँ ने सन 1631 ई. में शुरू करवाया था। जो कि करीब 22 साल बाद सन 1652 में बनकर तैयार हुआ था। उन्होंने ताजमहल निर्माण अपनी सभी पत्नियों में सबसे प्रिय अपनी तीसरी पत्नी मुमताज़ की याद में करवाया था। मुमताज़ महल पर्शिया देश की राजकुमारी थी।
मुमताज़ की चौदहवें बच्चें को जन्म देते समय मौत हो गयी। उस बच्चें का नाम गौहरा बेगम था। मुमताज़ की मृत्यु के बाद शाहजहाँ उसके ग़म में डूब गए। उन्होंने अपने प्रेम को अमर रखने के लिए ताजमहल का निर्माण करवाया था। इसलिए ताजमहल को मुमताज़ का मकबरा भी कहा जाता है।
इतिहासकारों के अनुसार शाहजहाँ ने यमुना नदी के दूसरे किनारें पर ताजमहल बनाने की ठानी थी। लेकिन उनकी यह योजना उनके बेटे औरंगजेब से युद्ध के कारण सफल नही हो सकी।
सन 1631 में शाहजहाँ ने सम्पूर्ण भारत पर विजय हासिल कर ली थी। सन 1632 ई. में ताजमहल का निर्माण कार्य शुरू हुआ। सन 1643 में ताजमहल का निर्माण कार्य समाप्त हो गया था। किन्तु शाहजहाँ इसको ओर अधिक खूबसूरत व आकर्षक बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इसका निर्माण कार्य निरतंर चलने दिया।
इसका निर्माण कार्य करीब 22 वर्ष तक चला। इसका निर्माण कार्य लगभग सन 1653 ई. में पूरा हो चुका था। कहा जाता है कि ताज़महल का निर्माण पूरा होने के तुरंत बाद ही उसके पुत्र औरंगजेब ने उसको आगरा के किले में कैद कर लिया था।
उसके बाद औरंगजेब शासक बन गया था। शाहजहाँ की मृत्यु बन्दीगृह में हो गयी थी। जिसके बाद उसकी कब्र को मुमताज़ के बराबर में दफ़ना दिया गया था।
ताजमहल किसने बनवाया !
ताजमहल के निर्माण में शाहजहाँ ने उस समय कुल 320 लाख रुपयें खर्च किये थे। जिनका मूल्य 52.8 अरब रुपये (827 मिलियन डॉलर) है। इसके निर्माण कार्य के दौरान काम में आने वाले सामान को लाने व ले जाने के लिए करीब 1500 हाथियों का उपयोग किया गया था।
ताज़महल के निर्माण से लगभग 6 महीने पहले 37 दक्ष कुशल कारीगर इकट्ठे किये। जिनमें घुमावदार पत्थरों पर अक्षरों को तराशने के लिए बगदाद से कारीगर बुलाया था।
इस प्रकार बुखारा शहर से एक कारीगर को बुलाया गया जो कि पत्थरों पर फूल बनानें में निपुण था। विशाल गुम्बदों के निर्माण के लिए तुर्की के इस्तम्बूल से कारीगर बुलाये गए तथा मीनारों के लिए समदकन्द से कारीगर बुलवाये गए।
जिनकी देखरेख में करीब 25,000 से भी अधिक कारीगर थे। उन सभी ने मिलकर ताजमहल का निर्माण किया था। जिनमें मजदूर, आर्टिस्ट, पेंटर व कईं अन्य कलाकार शामिल है। जिनमें उस्ताद अहमद लाहौरी प्रधान रूपनकंकर्ता थे।
ऐसा कहा जाता है कि जिन मजदूरों व कारीगरों ने ताजमहल का निर्माण किया था, शाहजहाँ ने निर्माण पूर्ण होने के बाद उन सभी के हाथ कटवा दिये। शाहजहाँ ने ऐसा इसलिए किया था ताकि ताजमहल जैसी ईमारत इस दुनिया में कभी कोई अन्य नही बना सके।
Taj Mahal Agra
सन 1983 में यूनेस्को ने ताजमहल को अपनी विश्व धरोहर की सूची में शामिल के लिया। तथा ताजमहल को विश्व की सबसे अधिक प्रशंसनीय व उत्तम कलाकृति बताया। ताजमहल को भारत का इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया। प्रसिद्ध भारतीय लेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने लेख “दी टियर-ड्रॉप ऑन दी चीक ऑफ टाइम” में उस समय की बहुत सी वस्तुकलाओं का वर्णन किया है।
भारतीय इतिहास की महान कलाकृतियों को विश्व के सामने उजागर किया है। सन 2007 में ताजमहल को विश्व के 7 अजूबों की सूची में शामिल किया गया था। ताजमहल को देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या एक वर्ष में 9 से 10 मिलियन है। जिनमें से भारतीय पर्यटकों की संख्या केवल 70 प्रतिशत है।
ताजमहल की संरचना व बनावट।
ताजमहल की संरचना व बनावट विश्व में सबसे भिन्न व आकर्षक है। मुग़लकाल में इमारतों का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से किया जाता था। उस समय शाहजहाँ ने इसका निर्माण सफेद मार्बल से करवाया। यह कलाकृति इसको और भी अधिक उत्कृष्ट बनाती है। ताजमहल का निर्माण पर्शियन व प्राचीन मुग़ल शैली में किया गया था।
इसके अलावा मुगलकालीन अन्य इमारतें भी है जैसे कि जामा-मस्जिद, हुमायूँ का मकबरा, इत्माद-उद-दूलह का मकबरा, गुर-ए-अमीर आदि। ताजमहल की दीवारों पर बहुत से मूल्यवान रत्न भी लगे हुए थे। जिन्हें 1857 के समय अंग्रेजों ने बहुत अधिक क्षति पहुँचाई थी। ताज़महल का मुख्य गुम्बद 60 फ़ीट ऊंचा व 80 फ़ीट चौड़ा है।
सन 1800 ई. में ताज़महल के गुम्बद पर सोने का कलश हुआ करता था। परन्तु अब इसे कांसे द्वारा बनाया गया गया है। इस कलश पर चंद्रनुमा आकृति बनाई गयी है। इसकी ऊपर की आकृति स्वर्ग की तरफ इशारा करती है व चंद्रनुमा आकृति तथा कलश की नोंक मिलकर त्रिशूल का आकार बनाती है। यह त्रिशूल हिन्दू भगवान शिव को इंगित करता है।
इसके अतिरिक्त ताज़महल के चारों किनारों पर 40 मीटर ऊंची 4 मीनार है। इन मीनारों का निर्माण हल्का से बाहर की तरफ किया गया है। क्योंकि अगर यह इमारत कभी गिरती है तो इस स्थिति में यह मीनारें बाहर की और गिरे। जिससे ताज़महल की मुख्य इमारत को कोई हानि न हो।
ताजमहल के अंदर क्या है
ताजमहल का सम्पूर्ण क्षेत्र 17 हेक्टेयर्स की भूमि पर फैला हुआ है। तथा ताजमहल की ऊँचाई 73 मीटर है। ताजमहल का निर्माण इस प्रकार से किया गया था कि इसकी चारों मीनारों की एक अलग प्रकार के आईना बनाती है।
सभी लोग इसको अपने आप में एक चमत्कार मानते है। कईं आर्किटेक्चर भी अभी तक इस पहेली को सुलझा नही पाये है। ताजमहल के चारों तरफ ऐतिहासिक इमारतें है। जिनमें मस्जिद व अतिथि-गृह शामिल है। तथा एक मनमोहन उद्द्यान है।
ताजमहल की एक और अद्भुत खास बात है कि यह दिन के समय में अलग-अलग प्रकार के रंगों में दिखाई देता है। जहां सुबह के समय में यह हल्का गुलाबी, शाम के समय दूध जैसा सफेद व रात के समय में यह हल्का सुनहरा रंग का दिखाई देता है।
ताज़महल के निर्माण में उपयोग में ली गयी सामग्रियां विदेशों से लायी गयी थी। जिनमें राजस्थान के मकराणा से संगमरमर पत्थर, अन्य कईं प्रकार के कीमती पत्थर व रत्न, बगदाद, अफगानिस्तान, तिब्बत, इजिप्ट, रूस, ईरान आदि देशों से आयात की गयी सामग्रियां थी।
जिन्हें बहुत अधिक कीमतों पर आयात किया गया था। अंग्रेजी सरकार ने ताज़महल के चारों तरफ फ़ारसी कला के फ़व्वारे वाले एक बेहद खूबसूरत बगीचे का निर्माण किया था। जिससे ताज़महल की सुंदरता में चार चाँद लग गए। Tajmahal History in Hindi
बेगम मुमताज़ महल का मकबरा !
ताजमहल के बिल्कुल मध्य में बेगम मुमताज़ महल की कब्र बनी हुई है। यह कब्र एक बड़े सफेद संगमरमर पत्थर से बनी हुई है। इस मकबरे के ऊपर एक बहुत बड़ी गुम्बद है। जो कि काफी आकर्षक है। यह गुम्बद उल्टे कलश की भांति दिखाई देती है। इस गुम्बद के उपड एक किरीट कलश है जो कि हिन्दू व फ़ारसी कला का मुख्य तत्व है।
गुम्बद को सहारा देने के लिए छोटे गुम्बदनुमा आकृति की छतरियां भी बनाई गयी है। यहाँ से मुमताज़ महल के मकबरे पर रौशनी पड़ती है। मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार कब्र को सुसज्जित किया गया है।
इस कब्र के नीचे शाहजहाँ व बेगम मुमताज़ के मृत शरीर असली कब्रों में दफ़न है। शाहजहाँ की कब्र मुमताज़ की कब्र के दक्षिण तरफ है। एक कहानी के अनुसार मानसून की पहली बारिश की पानी की बूँदे इनकी कब्रों पर गिरती है। इन कब्रों के मुख दायीं ओर मक्का की तरफ है। Tajmahal History in Hindi
मुमताज़ महल की कब्र एक आंतरिक कक्ष में मौजूद है। इसकी नींव वर्गाकार है। वैसे तो इस मकबरे का आकार अष्टकोणीय है लेकिन इसकी 8 कोनों वाली दीवारें शेष 4 कोनों की दीवारों से छोटी है।
इसलिए इस मकबरे की नींव वर्गाकार मानी जाती है। इस कब्र का आधार की लम्बाई 55 मीटर है। जिसे बहुमूल्य पत्थरों व रत्नों से जड़ा गया है। मुमताज़ का मकबरा 42 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मकबरे के चारों तरफ बगीचे है तथा तीन तरफ दीवार बनाई गयी है।
ताज़महल से जुड़े हुए रहस्य व रोचक किस्से |
ताज़महल में बहुत से रहस्य है जिन्हें ख़ोज पाना लगभग असम्भव है। ऐसे ही रहस्यों में से एक रहस्य यह है कि भारतीय हिन्दूओं के अनुसार ताज़महल असलियत में एक शिव मन्दिर है।
जिसका नाम तेजोमहालय है। हिन्दू दावा करते है की ताजमहल एक शिव मन्दिर है। कहा जाता है कि शाहजहाँ की पत्नी का नाम मुमताज़महल नही था। इसके अलावा किसी ईमारत का नामकरण करने के लिए मुमताज़ के नाम से मुम हटा देने का कोई तात्पर्य नही है।
हिंदुओं का दावा है कि ताज़महल शब्द के अंत में उपयुक्त “महल” मुस्लिम शब्द नही है। तथा विश्व में इस कोई भी मुस्लिम देश नही है जिसमें किसी इमारत के नाम में महल शब्द उपयोग में लिया गया हो।
कहा जाता है कि ताज़महल भारत के 12 ज्योतिलिंग में से एक है। जिसका नाम नागनाथेश्वर है। ऐसा इसलिए क्योंकि ताज़महल के जलहरी को नाग की कुंडली के समान बनाया गया है। बाद में शाहजहाँ ने यहाँ अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। इससे इसकी पवित्रता व हिंदुत्व समाप्त हो गयी।
ताज़महल के एक हिन्दू मन्दिर होने के अनेक दावे व सबूत है। इस पर बहुत से इतिहासकारों व लेखकों ने लेख भी लिखे है। जिसमें श्री पी.एन.ओक ने भी अपनी पुस्तक “ताजमहल इस ए हिन्दू टेम्पल” में इस बात का दावा किया है कि ताज़महल दक शिव मंदिर है और यह 12 ज्योतिलिंगों में से एक है।
ताज़महल का प्रवेश शुल्क:
- भारतीय निवासी – 50 INR
- विदेशी पर्यटक – 1100 INR
ताज़महल में प्रवेश समय:
- 6:00 AM – 6:30 PM
- ताजमहल हफ्ते के सातों दिन खुला रहता है। लेकिन यह शुक्रवार के दिन बंद रहता है। Tajmahal History in Hindi
ताजमहल में रात में प्रवेश समय
- 8:30 PM – 12:30 AM
ताज़महल में घूमने हेतु समय अवधि:
- 1-2 घण्टे
ताज़महल का पता:
- Dharmapuri, Forest Colony, Tajganj, Agra, Uttar Pradesh 282001