Letter Writing in Hindi (Patra Lekhan)
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भाषा के माध्यम से जो मानव – व्यवहार होता है , उसमे पत्र एक महत्वपूर्ण माध्यम है l जब हम आमने – समने नही होते तो पत्र के मध्यम से हमारी भौगोलिक दूरियों को कम करके हम एक – दुसरे से रु – ब – रु हो जाते है l और अपनी अभिव्यक्ति कर लेते है l
पत्र के माध्यम से हम अपने व्यवहार में अधिक सयंत , विवेकशील और सर्जनशील हो सकते है l इसलिए पत्रों के द्वारा होनेवाला सम्पर्क अनेक बार प्रत्यक्ष या फ़ोन पर किये जानेवाले वार्तालाप से अधिक उपयुक्त और अर्थवान हो जाता है l
कई बार हम जो बात प्रत्यक्ष रूप से नही कह सकते , उसे पत्र के माध्यम से व्यक्त कर सकते है l इसलिए पत्र दो व्यक्तियों की भौगोलिक दूरियों की विवशता का ही परिणाम नही है , यह अपने – आप में अभिव्यक्ति का एक अपरिहार्य विशिस्थ मध्यम है , इसलिए एक ही स्थान पर रहने वाले व्यक्तियों को भी पत्र – लेखन आवश्कता पड़ सकती है l
अत : पत्र – लेखन की महता और कौशल को जानना सम्पूर्ण मानव व्यवहार को अधिक अर्थवान और कलात्मक बनाता है l
आज हम सीखेंगे
पत्रों का वर्गीकरण : Types of Hindi Letter
पत्रों को प्रमुख रूप से दो भागो में वर्गीकृत किया जा सकता है
- औपचारिक-पत्र : Aupcharik Patra
- अनौपचारिक-पत्र : Unaupcharik Patra
पत्र लेखन की आधारभूत बातें
पत्र लेखन मूलतः एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ किया जाने वाला व्यवहार है l अतः उत्कृष्ट व्यवहार के लिए अपेक्षित सद्भावना, विवेकशील , सार्थकता समय्बध्ता के गुण पत्र लेखन में आवश्यक है l
पत्र मानव संबंधों को बेहतर बनाने वाला हो इसलिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है जैसे :
- उसमें एक दूसरे के प्रति समुचित स्नेह एवं सम्मान की अभिव्यक्ति होनी चाहिए l
- अपने विचारों और भावों को व्यक्त करने में पूर्ण पारदर्शिता हो ताकि पत्र के लेखक और पाठक एक दूसरे को समझ सके और परस्पर निकट आ सके l
- पत्र में जो कुछ लिखा जाए वह सुविचारित और सुव्यवस्थित रूप से लिखा जाए, न अनाव्यशक विस्तार हो , ना पुनरावृति और संपूर्ण बात सिलसिलेवार तथा आवश्कता पड़ने पर बिन्दुवत हो, कुछ भी ना तो निरथर्क हो और ना ही अनाव्यशक l
- पत्र का लेखन विशेष रूप से पत्रों पर निलंबित ना हो यथा समय हो l
- पत्र में समय चयन विचारों एवं भावों को प्रभावकारी ढंग से व्यक्त करने वाला हो, शैली में प्रभाव हो ताकि पाठक सुगमता से उसे पड़ता चला जाए तथा पत्र – लेखन के व्यक्तित्व की पहचान देता हूं l
- पत्र का लेखन पढ़ने वाले के स्तर और रुचि के अनुकूल भी हो l
- पत्र का प्रारंभ पत्र पाठक का स्वागत करने वाला हो, समुचित स्नेह सम्मान के साथ अभिवादन करने वाला हो l
- पत्र लेखन के व्यक्तित्व को पूर्ण कलात्मक के साथ प्रस्तुत करने वाला होना चाहिए l
औपचारिक-पत्र किसे कहते है (Formal Letter in Hindi)
औपचारिक पत्र को कार्यालय पत्र के नाम से भी जाना जाता है l ऐसे पत्र जो किसी कार्यालय के अधिकारी के लिए लिखे जाते हो कार्यालय चाहे सरकारी हो सकता है या गैर सरकारी l या किसी कार्यालय द्वारा किसी कार्यालय को या किसी व्यक्ति को कार्यालय से संबंधित कार्यों के लिए लिखे जाने वाला पत्र कार्यालय पत्र कहलाता है l
विशेष रूप से कार्यालय द्वारा जारी किए जाने वाले पत्र निम्नलिखित है l
- आवेदन पत्र (Application Letter)
- शिकायत पत्र (Complaint Letter)
- अर्ध सरकारी पत्र (Demi-Official Letter)
- अनुस्मारक (ReMinder)
- अधिसूचना (Notification)
- कार्यालय आदेश (Office Or-der)
- परिपत्र (Circular)
- प्रेस विज्ञप्ति (A Communique)
- ज्ञापन (Memorandum)
इन सभी औपचारिक पत्रों के प्रकार के बारे में हम आगे एक-एक करके जानेंगे इससे पहले हम औपचारिक पत्र के सही फॉर्मेट यानी प्रारूप के बारे में जान ले कि हमें औपचारिक पत्र लिखते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए l
औपचारिक पत्र लिखने का सही फॉर्मेट क्या होता है (Aupcharik Patra Format / Hindi Letter Format)
पूर्व में व्यवसायिक पत्र के प्रारूप कार्यालय पत्रों के प्रारूप से भिन्न होते थे किंतु अब व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का संचालन में सरकारी कार्यालयों की तरह व्यवस्थित ढंग से होता है इसलिए अब व्यवसायिक पत्रों के प्रारूप सरकारी पत्रों के प्रारूप के अनुसार हो गए हैं l
एक व्यक्ति यदि किसी कार्यालय को पत्र लिखें तो उसे अपनी लेखन योग्यता सद्भाव एवं स्पष्टता का परिचय देना चाहिए और दूसरी और एक कार्यालय द्वारा लिखे जाने वाले पत्र में कार्यालय की गरिमा और दृष्टि भी झलकनी चाहिए l
1. पत्र शीर्ष (लैटर हेड )
पत्र शीर्ष में सरकारी कार्यालय अथवा व्यवसायिक प्रतिष्ठान का नाम एवं पूरा पता छपा होता है अथवा अंकित करना होता है l व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के लेटर हेड में व्यवसाय के प्रकार के साथ-साथ उनके टेलीफोन नंबर, टेलेक्स नंबर , ईमेल, वेबसाइट आधी लिखा होता है l
2 . दिनांक
दिनांक हमेशा कागज के दाएं तरफ लिखा होना चाहिए तथा दिन का अंक, महीने का पूरा नाम, उसके बाद अल्पविराम (,) एवं सन की पूरी संख्या अंकित होनी चाहिए जैसे – 25 सितम्बर , 2020 l
महीनों के नाम लिखा होने के कारण “दिनांक” शब्द लिखना जरूरी नहीं होता क्योंकि महीने से सब कुछ स्पष्ट हो जाता है l
3. अंदर का पता
कार्यालय द्वारा लिखे जाने वाले पत्रों में जिस को पत्र लिखा जा रहा है उस अधिकारी का पद का नाम, कार्यालय का नाम एवं उसका पूरा पता भी बाई और लिखा होना चाहिए l
उदाहरण :
(1) सचिव
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान
अजमेर
(2) निर्देशक
प्राथमिक शिक्षा, राजस्थान
बीकानेर
4. विषय
कार्यालय को लिखे जाने वाले एवं कार्यालय द्वारा लिखे जाने वाले पत्रों में ( पत्र की सामग्री पत्र लिखने का उद्देश्य या मूल समस्या ) के शीर्षक के रूप में विषय का उल्लेख किया जाता है l
ताकि विषय को पढ़कर पत्र के उद्देश्य के बारे में तुरंत जानकारी मिल सके एवं कार्यालय में पत्र किस शाखा, विभाग, अनुभाग द्वारा उपयोग में लिया जाना है उसका निर्णय पूरा पत्र पढ़े बिना ही हो सके जैसे :
विषय : सड़क की मरम्मत करवाने के संबंध में / नई सड़क बनवाने के संबंध में l
5. संदर्भ
कार्यालई पत्रों में इस संबंध में आए पूर्व पत्रों तथा अन्य संबंधित घटना ( जैसे टेलीफोन पर हुई बातचीत समाचार पत्र में प्रकाशित खबर आदि ) के संदर्भ का उल्लेख किया जाता है l ताकि पत्र को उसके संपूर्ण संदर्भ में सुविधा से पढ़ा जा सके एवं उसे सही पत्रावली पर प्रस्तुत किया जा सके
जैसे : आपका पत्र क्रामंक प . 2(12) शिक्षा / 2020 / 2956, दिनांक : 25 जनवरी, 2020 या आपसे 26 जनवरी, 2020 को हुई वार्ता या 27 जनवरी, 2020 को अमुक अखबार में प्रकाशित खबर आदि l
Note : कार्यालय पत्रों में विषय एवं संदर्भ का विशेष महत्व होता है l
6. संबोधन / अभिवादन
किसी प्रतिष्ठान अथवा उसके अधिकारी को संबोधन देने या उसका अभिवादन करने के लिए आधार सूचक शब्दों का उपयोग किया जाता है जैसे : ( महोदय / माननीय / माननीय आदि ) कार्यालय पत्र औपचारिक होते हैं इसलिए वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कनिष्ठ अधिकारी को पत्र लिखने पर भी अभिवादन करने ( मान्यवर / महोदय लिखने ) का शिष्टाचार निभाया जाना चाहिए l
7. पत्र का मध्य भाग
पत्र का मध्य भाग ही पत्र का मुख्य शरीर होता है जिसमें पत्र का संदेश वर्णित होता है पत्र के संदेश को सिलसिलेवार ढंग से यदि आवश्यकता हो तो विन्दुवत , बिंदुओं के भी शीर्षक, उपशीर्षक के साथ, व्यक्त किया जाना चाहिए l संदेश में अनावश्यक विस्तार भी ना हो
कार्यालय पत्र लिखते समय हमने शब्दों और वाक्यों का विशेष ध्यान रखना चाहिए हमारे शब्द एकदम सरल हो एवं उनका मतलब सामने वाले को आसानी से पता चल जाए भाषा में सहज प्रभाव और प्रभावशीलता होना बहुत जरूरी होता है l
पत्र के मध्य भाग को मुख्यतः तीन भागों में लिखना चाहिए :
- पत्र के प्रारंभ में 1-2-3 वाक्यों में पत्र के विषय समस्या का परिचय कराना चाहिए l
- इसके बाद पत्र के विषय का विस्तार करना चाहिए जिसमें समस्या का वर्णन, उसके बारे में किए गए प्रयत्न, उसके संबंध में अपेक्षाएं, सुझाव आदि विन्दुवत लिखनी चाहिए l
- अंत में पत्रकार सारांश अंत में पत्रिका अंत में पत्र का सारांश प्रस्तुत करते हुए निवेदन, प्रार्थना, अपेक्षा आदि को एक नए अनुच्छेद में संक्षेप के साथ एक दो तीन वाक्यों में प्रस्तुत करना चाहिए
8. सलन्ग्नित संदर्भ
पत्र की सामग्री की अपेक्षा अनुसार पत्र के साथ कुछ अन्य लिखित सामग्री जैसे किसी पूर्व पत्र की प्रति बीजक, अन्य दस्तावेज मूल्य प्रति के रूप में संलग्न किए जा सकते हैं
संलग्न की जाने वाली सामग्री को हस्ताक्षर के बाएं और लिखकर उनका क्रमवार उल्लेख कर देना चाहिए ताकि पत्र प्राप्त करने वाले को संलग्न की जानकारी मिल सके और पत्र का पाठक आवश्यकतानुसार “संलग्न ” का अध्ययन भी कर सके l
9. शिष्टतासूचक अंत (स्वयंनिर्देशन / अधोलेख भी कहते है )
हस्ताक्षर करने से पूर्व पत्र – लेखक द्वारा पत्र प्राप्तकर्ता के लिए शिष्टतासूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे – भवदीय, आपका आज्ञाकारी ( शिष्य / कर्मचारी ), आपका विश्वासपात्र आदि l
10. हस्ताक्षर
शिष्टतासूचक अंत के बाद पुरे हस्ताक्षर किए जाने चाहिए l हस्ताक्षर से नीचे कोष्टक में पूरा नाम अंकित होना चाहिए तथा महिलाओं के नाम के पूर्व कुमारी / श्रीमती / सूश्री लिख देना चाहिए ( परीक्षा में अपना नाम ना लिखकर कखग/ चछज लिख देना चाहिए )
11. प्रतिलिपि
यदि यह आवश्यक समझा जाए ( प्रत्येक पत्र में प्रतिलिपि देना आवश्यक नहीं है किंतु परीक्षा में प्रतिलिपि देने का प्रारूप प्रस्तुत करना चाहिए ) इस पत्र के लिखे जाने की जानकारी अन्य किसी व्यक्ति या अधिकारी को भी मिलनी चाहिए तो फिर उस पत्र की प्रति उन संबंधित व्यक्तियों अधिकारियों को दी जानी चाहिए
इसके लिए “प्रतिलिपि” : सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु लिखकर नीचे अधिकारियों के पद की वरिष्ठता के क्रम से संबंधित व्यक्ति अधिकारी का नाम एवं पता लिखना चाहिए l प्रतिलिपि में अधिकारी के पद का नाम, कार्यालय का नाम, और पता एक ही पंक्ति में लिख देना चाहिए l
12. हस्ताक्षर
प्रतिलिपि के विवरण के बाद नीचे दाहिनी और पत्र लेखक के हस्ताक्षर करके उसके नीचे कोष्टक में नाम लिख देना चाहिए प्रतिलिपि में हस्ताक्षर से ऊपर भवदीय जैसे शब्द लिखने की जरूरत नहीं है परीक्षा में गोपनीयता भंग ना हो इसलिए कहीं भी स्वयं का वास्तविक नाम या काल्पनिक नाम भी नहीं लिखना चाहिए कखग/ चछज का प्रयोग करना चाहिए l
तो कार्यालय पत्र लिखते समय इन सभी पत्र के घटकों का हमें विशेष रुप से ध्यान रखना चाहिए एक अच्छा पत्र तभी लिखा जा सकता है जब हम इन सभी घटकों का विशेष रूप से ध्यान दें l
कार्यालय द्वारा जारी किए जाने वाले पत्र कई प्रकार के होते हैं जिनका जिक्र हम ऊपर कर चुके हैं चलिए एक – एक करके सभी प्रकार के पत्रों को विस्तार से जान लेते हैं
कार्यालय /औपचारिक पत्रों का प्रकार : Aupcharik Patra Types
1. आवेदन पत्र (Application Letter)
सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में अपने किसी आवश्यकता की पूर्ति हेतु विशेष रूप से रोजगार प्राप्त करने के लिए आवेदन पत्र लिखने की आवश्यकता होती है
बहुत सी संस्थाओं में तो आवेदन पत्र का प्रारूप निर्धारित होता है किंतु यदि आधारित नहीं हो तो आवेदक को अपना नाम , पता , आयु , शैक्षणिक योग्यता ,अनुभव एवं संबंधित कार्यों के लिए अपनी विशेष योग्यता, अनुकूल का उल्लेख करते हुए प्रस्तुत करना चाहिए l
उदाहरण : सचिव, सरोकार संस्थान, अजमेर को सहायक आचार्य के पद पर नियुक्ति हेतु प्रार्थना पत्र
कखग सेवा में महोदय, राजस्थान पत्रिका में आपके द्वारा प्रकाशित की गई विज्ञप्ति से मुझे पता चला कि आपके महाविद्यालय में इतिहास विषय के सहायक आचार्य का पद खली है l उक्त पद के लिए मेरे संबंध में अपेक्षित विवरण इस प्रकार है l 1. नाम : कखग आशा है कि आप मेरी योग्यताओं के अनुभव को ध्यान में रखते हुए मुझे उक्त पद पर सेवा करने का अवसर प्रदान करेंगे l सादर l भवदीय NOTE : आवेदन पत्र में किसी अन्य को आवेदन पत्र प्रतिलिपि भेजने की आवश्यकता नहीं रहती है
5, शांति कुंज कॉलोनी
अजमेर – 302152 5 फरवरी 2020
सचिव
सरोकार संस्थान
शांति कुंज कॉलोनी,
अजमेर
विषय : परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस मैं सहायक आचार्य इतिहास के पद पर नियुक्ति हेतु आवेदन पत्र l
संदर्भ : राजस्थान पत्रिका के 25 जनवरी 2020 के अंक में प्रकाशित आप की विज्ञप्ति संख्या : 5 / 2020
2. पिता का नाम : चछज
3. जन्मतिथि : 8 जुलाई 1992
4. जन्मस्थान : ग्राम : चछज, तहसील : चछज , जिला : अजमेर, राजस्थान
5. वर्तमान पता : 7, चछज कॉलोनी, अजमेर – 302152
6. शैक्षणिक योग्यता : (1) M.A. इतिहास राजस्थान विश्वविद्यालय 2012 68 % अंक l (2) NET – 2012, (3) Ph.D 2017
7. अनुभव : (1) चछज महाविद्यालय , अजमेर में इतिहास के सहायक आचार्य के पद पर 1 वर्ष अध्यापन, (2) चछज महाविद्यालय , अजमेर में सहायक आचार्य के पद पर पिछले 2 वर्ष से कार्यरत l
8. विशेष योग्यता : राजस्थान के इतिहास से संबंधित पांच शोध पत्र प्रकाशित l अध्यापन में मेरी विशेष रूचि है l मैं शिक्षक के रूप में निष्ठा एवं पूरा श्रम पूर्वक सेवा करना चाहता हूं l
संलग्न : योग्यता अनुभव के
प्रमाण पत्रों की छाया प्रतियां l
ह.चछज
नाम : चछज
2. शिकायत पत्र (Complaint Letter)
किसी भी विभाग के दायित्व से संबंधित किसी भी व्यक्ति व्यक्ति समूह या किसी संस्था को शिकायत होती रहती है इसलिए शिकायती पत्र लिखना आम घटना किंतु अच्छे शिकायती पत्र के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए l
- शिकायत का सफलतापूर्वक प्रयोग के साथ स्पष्ट विवरण l
- शिकायतों को दूर करने के लिए अपेक्षित प्रयत्नों कोई सुझाव l
- शिकायतों को दूर करने में शिकायतकर्ता का सहयोग करने का प्रस्ताव आदि सम्मिलित होना चाहिए l
उदाहरण : नगर निगम के मुख्य आयुक्त को एक पत्र लिखिए जिसमें बढ़ते हुए प्रदूषण की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए सफाई कराने का अनुरोध किया गया
कखग सेवा में विषय : शहर में बढ़ते हुए प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु l महोदय, स्वच्छता और सुंदरता की दृष्टि से अजमेर शहर की एक गौरवशाली परंपरा रही है लेकिन विगत कुछ वर्षों से बाजारो गलियों की गंदगी परिवहन कारखानों द्वारा उगलते जा रहे थे तथा सोर्सेज इस तिरुपति से प्रदूषण पड़ा है नगर निगम स्कूल रोक पाने में निरंतर असफल रहा है यह हम सभी के लिए अत्यंत लज्जा और चिंता की बात है दैनिक भास्कर के 5 जनवरी 2019 के अंक में अजमेर शहर में प्रदूषण संबंधित खबरें प्रकाशित हुई है इस संबंध में हम सब की चिंताएं और बढ़ गई हैं आसपास के लोग को सांस लेना भी सजा जैसा महसूस हो रहा है उधर से लोग को आना जाना भी कष्ट कर हो रहा है गंदगी से हैजा बुखार आदि बनने से आमजन पीड़ित है इस संबंध में निम्नलिखित सुझाव विचारणीय है मुझे विश्वास है कि नगर निगम इन सुझावों पर शीघ्र विचार कर नगर वासियों में सफाई के प्रति चेतना जागृत करने एवं गंदगी और प्रदूषण को दूर करने के लिए ठोस एवं कदम उठाएगा तथा जनता का सकारात्मक सहयोग प्राप्त करेगा और नगर निगम प्रशासन के विरुद्ध आंदोलन छेड़ने के लिए विवश नहीं करेगा l सादर l भवदीय
5, शांति कुंज कॉलोनी
अजमेर – 302152 5 फरवरी 2020
मुख्य आयुक्त
नगर निगम
अजमेर l
संदर्भ : दैनिक भास्कर के 5 जनवरी 2019 के अंक प्रकाशित प्रदूषण संबंधी समाचार l
संलग्न : समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार की छाया प्रति l
ह.चछज
नाम : चछज
निर्देशक, स्थानीय निकाय विभाग, राजस्थान सरकार, अजमेर l
नाम : चछज
3. अर्ध सरकारी पत्र (Demi-Official Letter)
अर्ध शासकीय पत्र जिन्हें अर्ध सरकारी पत्र के नाम से भी जाना जाता है l अर्ध शासकीय पत्र कार्यालय के कामकाज के संबंध में ही लिखा जाता है लेकिन उसमें व्यक्तिगत पत्रों की तरह आत्मीय स्पर्श और अनौपचारिक का समावेश भी हो सकता है अर्थात आधा कार्यालय पत्र और आधा व्यक्तिगत पत्र इसीलिए इसको अर्ध शासकीय पत्र या अर्ध सरकारी पत्र कहा जाता है l
आज शासकीय अर्ध सरकारी पत्रों का उपयोग सरकारी के आपसी पत्र – व्यवहार में और वैचारिक आदान-प्रदान करने , सलाम मशवरा करने, किसी प्रकार का स्पष्टीकरण देने अथवा चाहने एव आपस में सम्मति जानने आदि में किया जाता है l
अर्ध शासकीय पत्र सामान्य: अपने से उच्च अधिकारी को नहीं लिखे जाते अपने समकक्ष या अधीनस्थ अधिकारी को लिखे जाते हैं l
अर्ध शासकीय पत्र का प्रारूप : अर्ध शासकीय पत्रों में पत्र में पाने वाले का नाम व पता पत्र के अंत में हस्ताक्षर के नीचे की पंक्ति में बाई और लिखा जाता है अर्ध शासकीय पत्र में प्रिय महोदय के स्थान पर ” प्रिय श्री, प्रिय सुश्री, माननीय श्री , श्रीमती लिखा जाता है l इसके बाद जिस को पत्र लिखा जा रहा है उसका नाम या सरनेम पत्र लेखन के स्वयं के हाथ से लिखा जाता है
अभिलेख के रूप में भवदीय की जगह आपका शुभेच्छु आधी लिखा जाता है किंतु महिलाएं भवदीय लिख सकती हैं हस्ताक्षर के ऊपर भाई और सादर सप्रेम मंगल कामनाओं के साथ भी पत्र लेखक अपने हाथ से लिखता है l अर्ध शासकीय पत्र में “में” का उपयोग ना करते हुए “हम” का उपयोग किया जाता है l
उदाहरण : राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष का गुजरात खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष को अर्ध शासकीय पत्र
भुवन राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड विषय : खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्षों की बैठक l प्रिय श्री पटेल, इस कार्यालय द्वारा आपके बोर्ड को 25 दिसंबर 2018 को इस आशय का एक पत्र भेजा गया था कि गुजरात महाराष्ट्र और राजस्थान के खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्षों की फरवरी 2019 के अंतिम सप्ताह में एक बैठक आयोजित की जाए जिसमें हमारे इन तीन प्रदेशों में खादी एवं ग्राम देव के उत्पादन के आदान-प्रदान में आने वाली कठिनाइयों का निवारण किया जा सके l महाराष्ट्र बोर्ड ने अपना उत्तर भेज दिया है किंतु आपके बोर्ड से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई है मैं चाहता हूं कि आप व्यक्तिगत रुचि लेकर आ अपने यहां गांधीनगर में इस बैठक के आयोजन करने का प्रयास करें खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादन के विनय में में आने वाली कठिनाइयों समस्याओं से आप भली-भांति अवगत हैं l इसलिए बैठक की कार्यसूची आप अपने स्तर पर तैयार कर ले, राजस्थान बोर्ड को जो विशेष मुद्दे विचार नहीं प्रतीत होंगे उनकी सूची आपका उत्तर प्राप्त होने के बाद इस कार्यालय द्वारा अलग से भेज दी जाएगी l मुझे 25 से 28 फरवरी 2019 के बीच किसी भी दिन बैठक आयोजित करने में अनुकूलता रहेगी l मुंबई में श्री दिधे से संपर्क कर बैठक की तिथि शीघ्र सूचित करें l मई की दिल्ली बैठक में अपर स्वास्थ्य कुछ नरम प्रतीत हुआ था आशा है कि आप तक आपने उस को संतुलित कर लिया होगा इधर अजमेर से संबंधित कोई सेवा हो तो अवश्य लिखें l (उक्त अनुच्छेद व्यक्तिगत स्पर्श को प्रकट करता है) सादर l आपका श्री अविनाश पटेल NOTE : अर्ध शासकीय पत्र में रेखांकित शब्द पत्र लिखने वाले अधिकारी के स्वयं के हाथ से लिखे जाते हैं l टंकित नहीं होते l
विशाल अध्यक्ष
जवाहरलाल नेहरू मार्ग अजमेर
अजमेर, 5 फरवरी 2020
अ .शा.प.क्र / प 20 (14 ) / राखाबो / अ / 2020 / 29
संदर्भ : 20 दिसंबर 2018 को दिल्ली बैठक में हुआ विचार-विमर्श l
(विषय और संदर्भ लिखना जरूरी नहीं होता अगर आप चाहते हैं तो लिख सकते हैं)
ह.भुवन विशाल
(भुवन विशाल)
अध्यक्ष
गुजरात खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड
20, वल्लभ मार्ग
गांधीनगर ( गुजरात )
4. अनुस्मारक पत्र (Re-Minder)
पूर्व में किसी व्यक्ति या अधिकारी को भेजे गए पत्र का जवाब ना आने पर दोबारा से उन्हें एक स्मरण पत्र भेजा जाता है l इसे हम अनुस्मारक कहते हैं l
अनुस्मारक पत्र लिखते समय पूर्व में भेजे गए पत्र का संदर्भ लिखना जरूरी होता है किंतु उसकी विषय वस्तु कुसूर से लिखना आवश्यक नहीं होता अनुस्मारक के साथ मूल पत्र की प्रतिलिपि संलग्न की जा सकती है l
उदाहरण : राजस्थान सरकार के कार्यालयों के प्रयोग हेतु भाषा विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा प्रकाशित “प्रशासनिक प्रतिमान प्रारूप” में अंकित प्रारूप के अनुसार
राजस्थान सरकार क्र .प . 16 (29) / निपवी / स्था / 2019 / 376 , 15 जनवरी 2019 अनुस्मारक पशु चिकित्सा अधिकारी विषय : चिकित्सा संबंधी विवरण भेजने हेतु l महोदय, कृपया आप इस विषय पर हमारे उपयुक्त पत्र का अवलोकन करें l इसका उत्तर अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है l चिकित्सा संबंधित विवरण को विधानसभा के आगामी सत्र में प्रस्तुत करना है , अतः उत्तर अविलंब भिजवाने की कृपा करें l सलग्न : उक्त पत्र की छायाप्रति l भवदीय
कार्यालय, निदेशक, पशुपालन विभाग, जयपुर l
राजकीय पशु चिकित्सालय,
बिसलपुर l
संदर्भ : हमारा पत्र क्र .प . 16 (29) / निपवी / स्था / 2019 / 376 , 10 दिसंबर 2018 l
ह.चछज
निदेशक
5. अधिसूचना (Notification)
उच्च स्तरीय सरकारी नियम आदेश चेतावनी नियुक्ति अवकाश आदि से संबंधित सूचना को अधिकारियों, व्यक्तियों एवं जनता की जानकारी के लिए केंद्र सरकार के किसी कार्यालय द्वारा राष्ट्रपति या भारत सरकार के नाम से तथा राज्य सरकार के किसी कार्यालय द्वारा राज्यपाल या “राजस्थान सरकार”, ” बिहार सरकार” जी के नाम से राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है l उसे अधिसूचना कहते हैं l
अधिसूचना का प्रयोग भारत सरकार अथवा राज्य सरकारों के राजपत्रों में निम्नलिखित प्रकार की सूचनाओं के प्रकाशन हेतु किया जाता है
- नियम, अधिनियम, आदेशों के लागू होने की सूचना प्रसारित – प्रकाशित करने हेतु l
- राजपत्रित अधिकारियों की नियुक्ति स्थानांतरण, नौकरी से पृथक करने, अवकाश प्रोन्नति, वेतन वृद्धि, सेवानिवृत्ति, आदि सूचनाएं प्रकाशित करने हेतु l
-
अधिकारियों के कार्यभार आधी अधिकारों की सूचना प्रसारित करने हेतु l
- किसी विशिष्ट व्यक्ति को अधिकार प्रदान करने की सूचना प्रसारित करने हेतु l
अधिसूचना का प्रारूप
राजपत्र का नाम (जैसे राजस्थान राजपत्र भारतीय राजपत्र )
अधिसूचना (शीर्षक)
स्थान का नाम एवं दिनांक
(1) विभाग की पत्रावली का क्रमांक, (2) अधिनियम का नाम, धारा, उपधारा सहित l (3) अधिसूचना जारी करने में सक्षम अधिकारी के पद का नाम , जैसे – राष्ट्रपति / राज्यपाल महोदय आदि या भारत सरकार का, जैसे – भारत सरकार / राज्य सरकार आदि l (4) अधिसूचना की सामग्री (5) अधिसूचना के प्रभावी होने की तिथि (यदि आवश्यक हो)
आज्ञा से
अधिकारी के हस्ताक्षर
अधिकारी का नाम
अधिकारी के पद का नाम
दिनांक
पत्र क्रमांक
प्रतिलिपि : सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु
एक प्रतिलिपि – सचिव, राष्ट्रपति / राज्यपाल को
एक प्रतिलिपि – निजी सचिव, से संबंधित विभाग के मंत्री को
संबंधित अधिकारियों / व्यक्तियों को प्रतिलिपि
एक पटरी पर निदेशक, राजकीय मंत्रणा को – अधिसूचना को प्रकाशित करने हेतु l
अधिकारी के हस्ताक्षर
अधिकारी का नाम
पद का नाम
उदाहरण : अधिसूचना भारत सरकार क्रम संख्या 80/1/2019 नई दिल्ली 10 जनवरी 2019 राष्ट्रपति अगला आदेश जारी होने तक भारतीय प्रशासनिक सेवा, श्रेणी 2 निम्नलिखित अधिकारियों को 10 जनवरी 2019, से भारतीय प्रशासनिक सेवा, श्रेणी के वेतनमान में स्थानपन्न रूप से नियुक्त करते हैं l आज्ञा से क्रम संख्या 80/1/2019 नई दिल्ली 10 जनवरी 2019 ह . चछज
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
अधिसूचना
ह . चछज
संयुक्त सचिव,
भारत सरकार
प्रतिलिपि : सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु l
संयुक्त सचिव, भारत सरकार
6. कार्यालय आदेश (Office Or-der)
किसी कार्यालय में एक या अनेक कर्मचारियों के लिए सक्षम अधिकारियों द्वारा जो आदेश पत्र जारी किया जाता है उसे कार्यालय आदेश या आज्ञा कहते हैं उन पत्रों में ( नियुक्ति, पदोन्नति, छुट्टी एवं अन्य सुविधाओं की स्वीकृति आदि ) के बारे में आदेश जारी किया जाता है l
कार्यालय आदेश में कार्यालय के नाम के नीचे बाय और पत्रावली संग्रह तथा दाएं और दिनांक अंकित होता है l उसके नीचे शीर्षक के रूप में आदित्य कार्यालय आदेश संगीत होता है
कार्यालय आदेश किसी को संबोधित नहीं होता इसमें जिस को पत्र प्रेषित किया जाता है उसका नाम तथा सम्मानजनक संबोधन आदि नहीं होता l आदेश कार्यालय आदेश के नीचे आदेश की सामग्री अंकित होती है तथा उसके नीचे दाएं और आदेश जारी करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर एवं उसके नीचे पद का नाम अंकित होता है l
अब तक का यह भाग कार्यालय आदेश का भाग 1 भाग 2 में कार्यालय आदेश को प्राप्त करने वालों का उल्लेख होता है जिसमें सबसे पहले भाई और प्रत्यय वाली क्रमांक पत्र क्रमांक होता है वह दाएं और पत्र प्रेषित करने का दिनांक होता है
पत्र जारी करने का दिनांक एवं पत्र प्रेषित का दिनांक एक भी हो सकता है, क्योंकि संभव है कि किसी भी कारण से पत्र उस दिन संबंधित लोगों को प्रेषित ना किया जा सका हो l जिस दिन सक्षम अधिकारी ने आदेश जारी किए हो l
पत्रावली एव पत्र क्रमांक के नीचे “प्रतिलिपि” सूचनार्थ आवश्यक कार्यवाही हेतु शीर्षक लिखकर पत्र क्रमांक जिसको पत्र प्रेषित किया जाना है उसका नाम, पद का नाम पता अंकित किया जाता है l
नीचे दाहिनी और पत्र जारी करने वाले अधिकारी का हस्ताक्षर होते हैं तथा उसके नीचे पद का नाम अंकित होता है l कार्यालय आदेश की भाषा उत्तम पुरुष पुरुष में ना होकर अन्य पुरुषों में होती है, जैसे – “हम सूचित करना चाहते हैं” नहीं बल्कि “यह सूचित किया गया है”, “आदेश जारी किया जाता है”, “यह निर्णय लिया गया” आदि शैली में लिखा जाता है l
उदाहरण : राजस्थान सरकार के कार्यालय में प्रचलित प्रशासनिक प्रतिमान प्रारूप के अनुसार
राजस्थान सरकार क्रमांक : प .1 (16)/ शिक्षा / प्रति /2019/516 10 जनवरी 2019 आदेश श्री मनोज कुमार, सहायक आचार्य, हिंदी, राजकीय महाविद्यालय, नीमकाथाना की सेवाएं राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी, अजमेर में सहायक निदेशक के पद पर कार्यभार संभालने की तिथि से 1 वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर दी जाती है l क्रमांक : प .1 (16)/ शिक्षा / प्रति /2019/516 10 जनवरी 2019 ह . चछज
शिक्षा (ग्रुप 3) विभाग
शासन सचिवालय, अजमेर
ह . चछज
शासन सचिव
प्रतिलिपि : सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु l
शासन सचिव
7. परिपत्र (Circular)
जब किसी कार्यालय में किसी सामान्य कार्यवाही पत्र को ज्ञापन को अथवा आदेश को एक साथ अनेक पानेवालों को भेजा जाना होता है तो उसे परिपत्र कहते हैं l
परिपत्र एक सामान्य “पत्र” के रूप में भी हो सकता है, “ज्ञापन” के रूप में भी हो सकता है, और एक “आदेश” ग्रुप में भी हो सकता है l किंतु पत्र जहां लिखा किंतु पत्र जहां किसी विशिष्ट अधिकारी के नाम संबोधित होता है वहां परिपत्र में संबोधन सामान्य होता है, जैसे – सभी प्राचार्य, सभी जिला कलेक्टर या फिर अनेक जिनको परिपत्र भिजवा ना होता है l उनके नाम को परिपत्र जारी करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर के नीचे बाई और अंकित कर दिया जाता है l
उदाहरण : परिपत्र (एक पत्र के रूप में) कार्यालय प्रबंध, अजमेर विद्युत प्रसारण निगम लि. क्र .प 39(61) /जविप्रिन /स . / 2019 /510 से 562 10 जनवरी, 2019 परिपत्र समस्त अधीक्षण / अधिशासी अभियंता विषय : राजकार्यों में राजभाषा हिंदी का प्रयोग l महोदय , राजस्थान सरकार की भाषा विभाग से प्राप्त उक्त पत्र के क्रम में आपको यह सूचित किया जाता है कि निगम के अधीनस्थ अधिकारियों के मध्य जो पत्र भेजे जाएं वह हिंदी में ही होने चाहिए l इससे अधीनस्थ अधिकारियों को पत्र की विषय वस्तु भी अच्छी तरह स्पष्ट हो सकेगी तथा राजभाषा हिंदी को बल मिलेगा जो कि हमारा कर्तव्य भी है l इस पत्र का कठोरतापूर्वक पालन किया जाए l भवदीय संलग्न : भाषा विभाग के पत्र की प्रति l क्र .प 39(61) /जविप्रिन /स . / 2019 /510 से 562 10 जनवरी, 2019 प्रतिलिपि : सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु l ह . चछज
ज्योति नगर, अजमेर
संदर्भ : राजस्थान सरकार के भाषा विभाग से प्राप्त पत्र क्र .प 9(6) / भवी / सा / 2019 / 238, दिनाक : 5, जनवरी, 2019 l
ह . चछज
प्रबंधक
8. विज्ञप्ति (A Communique)
सरकारी और गैर सरकारी प्रतिष्ठान अपने किस निर्णय, घोषणा, निर्देश योजना आदि से संबंधित सूचनाओं को संबंधित व्यक्तियों एवं आम जनता तक पहुंचाना चाहते हैं क्योंकि अन्य लोगों तक किसी जानकारी को विज्ञापित किया जाता है इसलिए इसे विज्ञप्ति सूचना कहते हैं l
या यूं कहें ऐसी सूचना जिसको प्रकाशित करने का वैधानिक दायित्व होता है और उसे गजट मैं छपवाना आवश्यक होता है उसे अधिसूचना कहते हैं l
गजट के अलावा कार्यालय के सूचना पर किसी सार्वजनिक स्थान पर अखबार एवं प्रिंट मीडिया के लिए जो सामान्य प्रकार की सूचना होती है उसे विज्ञप्ति कहते हैं l विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य व्यवसायिक होता है मैं किसी उत्पाद को जनता में बेचने हेतु प्रचार करने के लिए जारी किया जाता है l जबकि विज्ञप्ति का उद्देश्य किसी गैस व्यवसायिक सूचना को जनता तक पहुंचाना होता है l
विज्ञप्ति का प्रारूप :
- कार्यालय का नाम एवं पता l
- पत्रावली क्रमांक दिनांक यह घटक आवश्यक नहीं है क्योंकि विज्ञप्ति का संदर्भ विज्ञप्ति संख्या और प्रकाशित होने के लिए नाम से निर्धारित हो जाता है l
- शिक्षक – विज्ञप्ति का विषय वस्तु से संबंधित शीर्षक देना चाहिए ताकि यह शीर्षक विज्ञप्ति से संबंधित पाठकों को सहज ही आकर आकृष्ट कर सके l
- विज्ञप्ति की सामग्री l
- विज्ञप्ति जारी करने वाले अधिकारी के पद का नाम सबसे नीचे दाहिनी और l
उदाहरण : निर्णय संबंधी
कार्यालय, सचिव, राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल, अजमेर प . 9(5) / पापुम / पा / 2019 30 जनवरी 2019 विज्ञप्ति संख्या : 3/2019 राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रकाशित विभिन्न परीक्षाओं की राष्ट्रीयकृत पाठ्य पुस्तकें आदि केवल उन्हीं पुस्तक विक्रेताओं को विक्रय हेतु उपलब्ध करवाई जाएगी, जिनका राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल में पंजीकरण होगा l जो पुस्तक विक्रेता बोर्ड की विभिन्न कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकों का विक्रय करना चाहता है और उन्होंने अपना पंजीकरण पूर्व में मंडल कार्यालय में नहीं करवाया है, उन्हें सूचित किया जाता है कि वह दिनांक – 20.02.2019 तक व्यक्तिगत रूप से मंडल कार्यालय में उपस्थित होकर पंजीकरण संबंधी आवेदन की कार्रवाई पूर्ण करें l राज्य के सहकारी उपभोक्ता भंडार / सहकारी समितियों भी उपर्युक्त प्रयोजना पंजीकरण करा सकते हैं l सचिव
पुस्तक – विक्रेता का पंजीकरण
9. ज्ञापन (Memorandum)
राजकीय पत्राचार मे जब अपने समकक्ष जा अधीनस्थ अधिकारियों अथवा कर्मचारियों को साधारण प्रकार का आदेश देने के लिए जो पत्र लिखा जाता है उसे ज्ञापन कहा जाता है l
केंद्र सरकार में वित्त मंत्रालय आपस में एक दूसरे को ज्ञापन ही लिखते हैं l राजकीय पत्राचार का यह रूप भारत सरकार या राज्य सरकार के अंतर्गत उसी के अपने विभिन्न मंत्रालयों के अधीनस्थ कार्यालयों, विभागों, अनुभागो या संस्थाओं के बीच प्रयोग में लाया जाता है l
ज्ञापन का प्रारूप :
ज्ञापन की भाषा हमेशा अन्य पुरुष में ही होती हैl ज्ञापन बहुत लंबे चौड़े और वर्णनात्मक ना होकर विषय के अनुसार एवं संक्षिप्त होते हैं l ज्ञापन में ना संबोधन होता है और ना ही “भवदीय” जैसे स्व-निर्देशन जो कि सामान्य कार्यालय पत्र में होते हैं l
नीचे ,अंत में केवल प्रेषक के हस्ताक्षर तथा उसके नीचे पद नाम का उल्लेख रहता है और जिस या जिनके लिए ज्ञापन होता है उसका / उनका नाम और पद, प्रेषक के हस्ताक्षर के नीचे बाई और कोने में लिख दिया जाता है l ज्ञापन की भाषा सरल एवं वाक्य योजना छोटी होती है l
ज्ञापन में यदि एक से अधिक अनुच्छेद हो तो पहले अनुच्छेद पर क्रमांक ना देकर उसके बाद के अनुच्छेदों पर क्रमांक दिए जाते हैं इसके वाक्य सामान्यतः क्रमवाचक ही होते हैं जैसे – “किया जाता है”, “किया गया था”, और “किया जाएगा” आदि l
ज्ञापन दो प्रकार के होते हैं कार्यालय ज्ञापन और ज्ञापन ज्ञापन एक ही मंत्रालय या उसके विभाग में काम में लिया जाता है l जबकि कार्यालय ज्ञापन विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के बीच भेजा जाता है दोनों के प्रारूप में अंतर नहीं है चलिए हम ज्ञापन का एक उदाहरण देख लेते हैं
उदाहरण : भारत सरकार के कार्यालयों में प्रचलित ज्ञापन का प्रारूप स . प / 13 – स / 2019 नई दिल्ली 30 जनवरी 2019 विषय : विद्युत खर्च में बचत करने हेतु l विद्युत के बढ़ते संकट से हम सभी परिचित हैं अतः कार्यालय समय में उपयोग में ली जाने वाली विद्युत को कम से कम खर्च किया जाए तो हम इस संकट के निवारण में योगदान कर सकते हैं l हम एयर कंडीशनर कोलार हीटर पंखा ट्यूब लाइट का उपयोग कार्यालय समय में कम से कम करें जिससे हमारे कार्यालय में कोई बाधा भी ना आए और विद्युत की बचत हो सके l अतः समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि विद्युत का अपव्यय रोकने का गंभीरता से प्रयास करें l इंद्र कुमार प्रेषित
भारत सरकार
गृह मंत्रालय
ज्ञापन
अतिरिक्त सचिव
सभी विभागाध्यक्ष, गृह मंत्रालय
सभी कार्यालयअध्यक्ष, गृह मंत्रालय
अनौपचारिक-पत्र किसे कहते है
व्यक्तिगत पत्र वह होते हैं जो एक व्यक्ति की हैसियत से अपने आत्मीय जनों एवं निजी संबंध रखने वालों को लिखे जाते हैं तथा जिसमें पत्र लेखक अपनी व्यक्ति भावनाओं को इस रूप में व्यक्त करता है कि वह पत्र पाठक की संवेदना स्पर्श कर सके अपने परिजनों और मित्रों आदि को इसी प्रकार के व्यक्तिगत पत्र लिखे जाते हैं l
सामाजिक दायित्व और शिष्टाचार को निभाने के लिए एक सामाजिक की हैसियत से जो औपचारिक पत्र सामाजिक को के लिए लिखे जाते हैं तथा जिनमें बधाई, धन्यवाद, आमंत्रण आदि की औपचारिक अभिव्यक्ति की जाती है उन्हें सामाजिक पत्र या अनौपचारिक पत्र कहा जाता है l
औपचारिक पत्र के प्रकार (Unaupcharik Patra Types)
- बधाई पत्र
- शुभकामना पत्र
- निमंत्रण पत्र
- विशेष अवसरों पर लिखे गये पत्र
- सांत्वना पत्र
- किसी प्रकार की जानकारी देने के लिए
- कोई सलाह आदि देने के लिए
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औपचारिक-पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- औपचारिक-पत्र नियमों में बंधे हुए होते हैं।
- इस प्रकार के पत्रों में भाषा का प्रयोग ध्यानपूर्वक किया जाता है। इसमें अनावश्यक बातों (कुशल-मंगल समाचार आदि) का उल्लेख नहीं किया जाता।
- पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
- पत्र की भाषा-सरल, लेख-स्पष्ट व सुंदर होना चाहिए।
- यदि आप कक्षा अथवा परीक्षा भवन से पत्र लिख रहे हैं, तो कक्षा अथवा परीक्षा भवन (अपने पता के स्थान पर) तथा क० ख० ग० (अपने नाम के स्थान पर) लिखना चाहिए।
- पत्र पृष्ठ के बाई ओर से हाशिए (Margin Line) के साथ मिलाकर लिखें।
- पत्र को एक पृष्ठ में ही लिखने का प्रयास करना चाहिए ताकि तारतम्यता/लयबद्धता बनी रहे।
- प्रधानाचार्य को पत्र लिखते समय प्रेषक के स्थान पर अपना नाम, कक्षा व दिनांक लिखना चाहिए।
औपचारिक-पत्र प्रारूप (Unaupcharik Patra Format)
- ‘सेवा में‘ लिख कर, पत्र प्रापक का पदनाम तथा पता लिख कर पत्र की शुरुआत करें।
- विषय – जिसके बारे में पत्र लिखा जा रहा है, उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द-संकेतों में लिखें।
- संबोधन – जिसे पत्र लिखा जा रहा है- महोदय/महोदया, माननीय आदि शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें।
- विषय-वस्तु– इसे दो अनुच्छेदों में लिखना चाहिए-
पहला अनुच्छेद – “सविनय निवेदन यह है कि” से वाक्य आरंभ करना चाहिए, फिर अपनी समस्या के बारे में लिखें।
दूसरा अनुच्छेद – “आपसे विनम्र निवेदन है कि” लिख कर आप उनसे क्या अपेक्षा (उम्मीद) रखते हैं, उसे लिखें। - हस्ताक्षर व नाम– धन्यवाद या कष्ट के लिए क्षमा जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और अंत में भवदीय, भवदीया, प्रार्थी लिखकर अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें।
- प्रेषक का पता– शहर का मुहल्ला/इलाका, शहर, पिनकोड आदि।
- दिनांक।
औपचारिक पत्र में आरंभ और अंत में कुछ ऐसे शब्द हैं उनका उपयोग हमें करना चाहिए जैसे :
प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द) – श्रीमान, श्रीयुत, मान्यवर, महोदय आदि।
अभिवादन – औपचारिक-पत्रों में अभिवादन नहीं लिखा जाता।
समाप्ति – आपका आज्ञाकारी शिष्य/आज्ञाकारिणी शिष्या, भवदीय/भवदीया, निवेदक/निवेदिका, शुभचिंतक, प्रार्थी आदि।
औपचारिक-पत्र के उदाहरण
औपचारिक पत्र में भी दो तरह के पत्र लिखे जाते हैं एक पत्र जिनका हम से डायरेक्ट संबंध होता है जैसे – पिता, बहन, माता, प्रधानाचार्य आदि और एक वह पत्र होते हैं जो कार्यालय के लिए लिखे जाते हैं चलिए दोनों पत्रों के प्रकार के प्रारूप को हम देख लेते है l
कार्यालयी-पत्र का प्रारूप सेवा में, उदाहरण : आपके नाम से प्रेषित एक हजार रु. के मनीआर्डर की प्राप्ति न होने का शिकायत पत्र अधीक्षक पोस्ट आफिस को लिखिए। सेवा में, विषय – मनीआर्डर की प्राप्ति नहीं होने पर कार्यवाही हेतु पत्र। महोदय, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरे घर से मेरे पिताजी ने दिनांक 3 अप्रैल, 2020 को 1000 रुपये का मनीआर्डर (रसीद संख्या xxxx) किया था। परन्तु अभी तक यह मनीआर्डर मुझे प्राप्त नहीं हुआ है। इस विषय पर मैंने अपने क्षेत्र के पोस्ट आफिस के स्टाफ से संपर्क किया। परन्तु उनका कहना है कि उनको इसकी कोई जानकारी नहीं है। हमारा परिवार बहुत गरीब है और पिताजी दिहाड़ी की मजदूरी मेहनत करके मुझे पैसे भेजते हैं। आपसे निवेदन है कि इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएं और जल्द-से-जल्द मुझे मनीआर्डर वाले पैसे दिलवाएं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरी इस समस्या पर ध्यान देते हुए, उचित कार्यवाही करेंगे। मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा। धन्यवाद। भवदीय
प्रबंधक/अध्यक्ष (प्रश्नानुसार),
कार्यालय का नाम व पता………….
दिनांक………….
विषय- (पत्र लिखने के कारण)।
महोदय,
पहला अनुच्छेद ………………….
दूसरा अनुच्छेद ………………….
समाप्ति (धन्यवाद/आभार)
भवदीय/भवदीया
(नाम,पता,फोन नम्बर)
अधीक्षक,
मुख्य डाकघर, जयपुर
दिनांक-25 अप्रैल, 2020
आशोक शर्मा
48, पवन पूरी कोलोनी
जयपुर
दूरभाष – 99723xxxxxx
भाई-बहन माता-पिता या प्रधानाचार्य को लिखने वाले पत्र का प्रारूप सेवा में, उदाहरण : दीदी या बहन की शादी पर अवकाश के लिए आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र। सेवा में, प्रधानाचार्य मोहदय, विषय – बहन की शादी के लिए अवकाश प्रदान हेतु प्रार्थना पत्र। महोदय, सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय के कक्षा 10वीं का विद्यार्थी हूँ। मेरे घर में मेरी बहन की शादी है। जिसकी दिनांक 15/09/2020 और 17/09/2020 निश्चित हुई है, मैं अपने पिता का इकलौता पुत्र हूँ, अतः शादी में बहुत से कार्यों में मेरा होना अति आवश्यक है। इसी कारण मुझे 10/09/2020 से 18/09/2020 तक का अवकाश चाहिए। धन्यवाद। आपका आज्ञाकारी शिष्य,
प्रधानाचार्य,
विद्यालय का नाम व पता………….
विषय- (पत्र लिखने के कारण)।
महोदय जी,
पहला अनुच्छेद ………………….
दूसरा अनुच्छेद ………………….
आपका आज्ञाकारी/आज्ञाकारिणी शिष्य/शिष्या,
क० ख० ग०
कक्षा………………….
दिनांक ………………….
डी.ए.वी. स्कूल,
रामनगर (दिल्ली)
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मुझे अवकाश प्रदान करने की कृपा करें, इसके लिए मैं आपका आभारी रहुँगा।
नाम – कोमल शर्मा
कक्षा – 11वीं
रोल नंबर – 16
दिनांक – 09/09/2020
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तो आज आपने जाना औपचारिक-पत्र और अनौपचारिक पत्र क्या होता है इसकी क्या विशेषता है और यह कितने तरीकों से लिखे जाते हैं आशा करते हैं कि हमारे द्वारा लिखी गई ये लेख आपको काफी पसंद आई होगी फिर भी आपको इससे जुड़ी कोई भी समस्या होती है या कुछ पूछना है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं l
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