गणेश चतुर्थी पर छोटे-बडें निबंध (Short and Long Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi)
निबंध – 1 (300 शब्द)
प्रस्तावना : गणेश चतुर्थी हिंदू त्योहारों में से एक है। इस त्यौहार को विनायका चवती के नाम से भी जाना जाता है, जो गनेश की जयंती पर मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार भाद्रपद(अगस्त /सितम्बर) के महीने में आता है।
गणेश चतुर्थी के पीछे का इतिहास
प्राचीन कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने स्नान करने के लिए गणेश को चंदन की लकड़ी से बनाकर बाहर रखा ताकि वह रक्षण बरत सकें। उस समय गनेश ने भगवान शिव को उस जगह में प्रवेश करने से रोक दिया था ।
क्रोध से भगवान शिव ने गणेश का सिर काट दिया। जब पार्वती को उस घटना के बारे में पता चला तो वह दिल से टूट गई थी । तब भगवान शिव ने गणेश को वापस लाने का वादा किया। भगवान शिव के अनुयायियों को केवल एक हाथी का सिर मिला, हालांकि उन्होंने लड़के के सिर की खोज की। इसलिए भगवान गणेश एक हाथी के सिर के साथ जीवन में वापस आए।
गणेश चतुर्थी का उत्सव
गणेश चतुर्थी के उत्सव की शुरुआत मूर्तियों को बनाने से होती है अनुष्ठान का पहला चरण प्राण प्रतिष्ठा होगा। इसके बाद षोडशोपचार पूजा होती है। जहां लोग मूर्ति के सामने अपना प्रसाद रखते हैं जिसमें मोदक, नारियल चावल, लड्डू आदि शामिल होते हैं।
त्योहार के दौरान 10 दिनों के लिए भगवान की पूजा की जाती है और 11 वें दिन गणेश विसर्जन होता है। इस दिन बच्चे अपनी नई किताबें लाकर उन पर ओम लिखते हैं क्योंकि गनेश को शुरुआत के देवता के रूप में जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
यह त्यौहार साल में एक बार मनाया जाता है और हिन्दुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। जबकि महत्व की बात आती है तो , इसे ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
निष्कर्ष : “गणपति बप्पा मोरिया” ये तीन शब्द गणेशोत्सव की भावना से किसी को भी महसूस कर सकते हैं।यह त्योहार लोगों को एकजुट करता है और लोग अपनी खुशी को सभी के साथ साझा करते हैं।
निबंध – 2 (400 शब्द)
प्रस्तावना : गणेश चतुर्थी निबंध का उद्देश्य पढ़ने वालों को इसके महत्व के बारे में शिक्षित करना। गणेश चतुर्थी एक वार्षिक त्योहार है जिसे भगवान गणेश के आगमन के लिए मनाया जाता है।
त्योहार के सबसे प्रतिष्ठित उत्सव है। घरों में गनेश की मूर्तियों की स्थापना करना अधिकांश विस्तृत प्रदर्शन अस्थायी चरणों के रूप में देखे जाते हैं जिन्हें “पंडाल” कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी की कहानी
यह त्योहार भगवान गणेश के पुनर्जन्म पर मनाया जाता है। वह देवी पार्वती द्वारा एक पूर्ण मानव रूप में बनाया गया था। उसने अपने शरीर चंदन के साथ एक लड़के को बनाया। उसने उसे दरवाजे पर खड़े होने के लिए कहा, जब तक वह स्नान पूरा नहीं कर लेती, तब तक किसी को अंदर नहीं आने देने कि अज्ञा दिया।
तभी शिवा अंदर जाने की कोशिश करते है लेकिन लड़के ने उसे रोक दिया। फिर शिव ने लड़के का सिर काट दिया। इस खबर को जानकर पार्वती उग्र हो गईं। तब शिवाजी ने अपराधबोध महसूस किया और अपने अनुयायियों को मानव सिर पाने के लिए भेजा। फिर वे एक हाथी से मिले, जिसने अपना सिर दिया था। तब लड़के को वो सिर दिया गया और वह फिर से जीवित हो गया। तभी से वो गनेश के नाम से जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी का उत्सव
उत्सव में वेदों और अन्य हिंदू ग्रंथों से भजन का जप शामिल है। लोग उपवास भी करते हैं। यह त्योहार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। जो अगस्त / सितंबर के महीने में होता है। भगवान गणेश के भक्त भगवान से अपनी प्रार्थना करते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे मोदक चढ़ाते हैं जो भगवान की पसंदीदा मिठाई है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं । यह त्योहार फिर से लोकप्रिय हो गया 19 वीं शताब्दी में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लोकमन्य तिलक द्वारा।
मूर्ति विसर्जन का महत्व
मूर्ति विसर्जन बुराई और कष्टों से मुक्ति को दर्शाता है। जब विराजन होती है लोग समूह बनकर जाते हैं। फिर वे नाचने लगते हैं । यह भगवान गणेश के लिए एक भव्य विदाई को दर्शाता है क्योंकि सभी का मानना है कि वह फिर से कैलाश जा रहे थे।लोग “गणपति बप्पा मोरिया” से प्रार्थना करते हैं।
पर्यावरणीय प्रभाव
इन दिनों मूर्तियों को बनाने के लिए इको फ्रेंडली मिट्टी का उपयोग किया जाता है। यह प्रकृति को कोई नुकसान पहुंचाए बिना त्योहार मनाने में मदद करता है।
निष्कर्ष : संक्षेप में यह गनेशा के सम्मान में मस्ती का त्योहार है। पूरे भारत में लोग इसका आनंद लेते हैं । गणेश चतुर्थी एक खुशी है और लोगों को एकजुट करता है।
निबंध – 3 (500 शब्द)
प्रस्तावना : गणेश चतुर्थी पर्व पर हिंदू धर्म के सबसे आराध्य देवता गणेश की पूजा जाती है। यह त्यौहार खास तौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता है। हालाकि यह त्यौहार भारत के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है।
लोग पूरी श्रद्धा के साथ अगस्त व सितंबर मास में 10 दिन केलिए अपने घरों में गणेश जी की मूर्ती की स्थापना कर इस पर्व को मनाते है।
इतिहास
ऎतिहसिक रूप से देखा जाए तो 1983 में इसे लोकमान्य बालगंगाधर तिलक (सामाजिक कार्यकर्ता व स्वतंत्र सेनानी) के द्वारा भारतीयों को अंग्रेजी शासन से बचाने के लिए गणेश पूजा की प्रथा को अपनाकर इस उत्सव की शुरुआत की।
हाल के दिनों में उस पर्व को एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को गणेश की पुनर्जन्म के अवसर पर भी मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का उत्सव
भगवान गणेश कई नाम से जाने जाते हैं। जैसे कि गणपति,एक दंत, शक्तियों का भगवान, लंबोदर, विनायका आदि। लोगों का यह मानना है कि गणेश जी हर साल ढेर सारी ऐश्वर्य तथा समृद्धि प्रदान करते है। गणेश चतुर्थी पर्व के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन कर भगवान की पूजा करते है।
हिंदू धर्म के रीति रिवाज के अनुसार मंत्रोच्चारण,आरती, भक्ति गीत गाकर भगवान गणेश की मूर्ति के सामने मोदक, नारियल, कपूर,लाल चंदन,लाल फूल,गुड आदि चढ़ाते है।
10 दिन की पूजा अर्चना करते है। 11 वे दिन अनंत चतुर्थी को लोग गणेश जी की विदाई करते है। प्रार्थना करते है कि अगले वर्ष फिर से पधारे। गणपति विसर्जन से इस पर्व को समाप्त करते है। गणेश चतुर्थी की तयारी एक महीना,हफ्ता, या उसी दिन से भी शुरू कर देते है।
पर्व के दौरान बाजारों में अपनी अलग अलग ही एक रौनक रहती हैं। हर जगह दुकानें गणेशजी की मूर्तियों से भरी रहती हैं। मूर्तियों की बिक्री को बढ़ाने केलिए बिजिली कि रोशन की जाती है।
भगवान गणेश बच्चों के प्रिय होते है। समाज में लोगों का समूह , गणेश भगवान की पूजा करने के लिए पंडाल तयार करते है। आसपास के रहने वाले समाज के लोग प्रतिदिन उस पंडाल में पूजा अर्चना भी करते है। इस पर्व पर प्रसाद केलिए मोदक का प्रयोग ज्यादातर किया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
यह त्योहार साल में एक बार मनाया जाता है और हिन्दुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। जब यह महत्व की बात आती है, तो इसे ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। विसर्जन बुराई और कष्टों से मुक्ति को दर्शाता है।
गणेश चतुर्थी का पर्यावरणीय प्रभाव
मद्रास उच्च न्यायालय ने 2004 में फैसला सुनाया कि गणेश की मूर्तियों का विसर्जन गैरकानूनी है क्योंकि इसमें जल निकायों को प्रदूषित करने वाले रसायन शामिल हैं ।
पर्यावरणीय चिंताओं के कारण मूर्तियों को बनाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी का उपयोग किया जाता है। कुछ शहरों में विसर्जन के लिए एक सार्वजनिक इको फ्रेंडली प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।
निष्कर्ष : “गणपति बप्पा मोरिया” ये तीन शब्द इस त्योहार की भावना से किसी को भी महसूस कर सकते हैं। यह त्योहार शक्ति और एकता का प्रतीक है।
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