आज हम आपको, GDP का Full Form क्या होता है? जीडीपी क्या होती है? जीडीपी का इतिहास क्या है? और जीडीपी कैलकुलेट कैसे किया जाता है? आदि के बारे में बताने वाले हैं।
दोस्तों आपने अनेकों बार न्यूज़ चैनलों पर, अखबारों में और लोगों के बीच जीडीपी के बारे में बात करते हुए जरूर सुना व पढ़ा होगा या इसके बारे में थोड़ा बहुत जानते भी होंगे।
आपने अक्सर सुना होगा कि भारत की जीडीपी दर वर्तमान में इतनी है? अगले वर्ष इतनी होगी? पिछले वर्ष इतनी थी? व जीडीपी में इतनी गिरावट या वृद्धि हुई है? इत्यादि,
तो दोस्तों जीडीपी से संबंधित इन बातों को समझने के लिए हमारा यह जीडीपी पर लिखा लेख पूरा जरूर पढ़ें।
जीडीपी क्या होती है : What is GDP
GDP , यह किसी देश की सीमाओं के भीतर एक निश्चित समयावधि में उत्पादित सभी वस्तुओं, उत्पादों और सेवाओं का कुल बाजार मूल्य होता है,
इसका उपयोग अर्थव्यवस्था के आकार और उसके Overall Development एवं राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में वृद्धि या गिरावट को मापने के लिए किया जाता है।
यह किसी देश के आर्थिक स्वास्थ्य को इंगित (Indicate) करता है और साथ ही एक देश के लोगों के जीवन स्तर को भी दर्शाता है,
अर्थात जब किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ता है तब उस देश के लोगों का जीवन स्तर भी बढ़ता है तथा जब उस देश का जीडीपी कम होता है तो उसके नागरिकों का जीवन स्तर भी घटता है।
एक अच्छा जीडीपी रखने वाला देश उसके नागरिकों के जीवन-यापन के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अच्छा माना जाता है।
भारत में जीडीपी की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही के आधार पर होती है, तथा भारत के जीडीपी में योगदान देने वाले तीन मुख्य क्षेत्रक हैं:
- कृषि क्षेत्रक : इसके अंदर वे प्रक्रियाएं शामिल होती हैं, जिसमें किसान व कंपनियां किसी उत्पाद के निर्माण हेतु कच्चे माल का उत्पादन करतीं हैं। यह कुछ दशकों पहले भारत की जीडीपी में योगदान देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्रक था।
- उद्योग क्षेत्रक : इसके अंतर्गत वे प्रक्रियाएं शामिल होती हैं जिसके तहत प्राथमिक क्षेत्रक यानी कृषि, खनन आदि द्वारा उत्पादित कच्चे माल को संसोधित करके ग्राहकों के लिए उपयोग के योग्य वस्तुएं बनाई जाती हैं।
- सेवा क्षेत्रक : सेवा क्षेत्रक में वे सभी क्रियाकलाप आते हैं, जिसके तहत कृषि और उद्योगों द्वारा उत्पादित माल को ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है, इनके अलावा इसमें परिवहन, बैंकिंग, सरकारी सुविधाएं आदि भी सम्मिलित होती हैं। वर्तमान में Service Sector भारत के जीडीपी में योगदान देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्रक है।
इन क्षेत्रको में उत्पादन कम होने या अधिक होने के औसत के आधार पर ही जीडीपी दर तय की जाती है।
वर्तमान में जीडीपी के लिए आमतौर पर आठ औद्योगिक क्षेत्रों के आंकड़े जुटाए जाते हैं, जो हैं- कृषि, खनन, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली, कंस्ट्रक्शन, व्यापार, रक्षा, वित्तिय और अन्य सेवाएं।
GDP Full Form / GDP Full Form in Hindi
जीडीपी का इतिहास : History of GDP
सबसे पहले सन् 1652 और 1674 के बीच डच और अंग्रेजों के बीच अनुचित कर वसूली (Taxation) से जमींदारों का बचाव करने के लिए विलियम पेटी ने जीडीपी का Basic Concept दिया था। बाद में, इस पद्धति को चार्ल्स डेवनेंट ने और अधिक विकसित किया।
इसका Modern Concept सबसे पहले 1934 में साइमन कुजनेट्स द्वारा विकसित किया गया था। सन् 1944 में ब्रेटन वुड्स में IMF के गठन और पहले सम्मेलन के बाद, यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मापने का मुख्य साधन बन गया।
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INDIA GDP 2020
वर्तमान समय में इंडिया जीडीपी ग्रोथ रेट पिछले छः साल के सबसे निचले स्तर पर है और देश मंदी का सामना कर रहा है। जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष के अंत तक जीडीपी रेट 5.8 % थी परन्तु अब भारत की जीडीपी 2020 में केवल 5% रह गयी है।
निचे आप सभी देशो की GDP देख सकते है
जीडीपी की गणना कैसे की जाती है : How GDP Is Calculated
जीडीपी की गणना के लिए कई तरीके अपनाएं जाते हैं। यदि हम एक सरल Method के बारे में बात करें; तो यह कुल खपत, कुल निवेश और सरकारी खर्चों के अलावा निर्यात-आयात के मूल्य के बराबर होता है। सामान्यतः जीडीपी कैलकुलेट करने की समयावधि एक तिमाही या एक वर्ष होती है
Formulas :
जीडीपी की गणना करने के लिए विभिन्न तरीके निम्नलिखित हैं:
- Production Approach : इसके तहत देश की सभी इंडस्ट्रीज द्वारा उत्पादन को देखा जाता है, क्योंकि उद्योगों द्वारा चीजों का उत्पादन जितना अधिक होगा वह देश दूसरों देशों में उनका निर्यात उतना ही अधिक कर पाएगा।
- Income Approach : इसके अन्तर्गत एक देश के नागरिकों का प्रति-व्यक्ति दैनिक व वार्षिक आय, कम से कम वेतनमान कितना है? अमीर व गरीबों के बीच पैसों का वितरण कैसा है? आदि पहलुओं को देखा जाता है।
- Expenditure Approach : इसके तहत सरकार द्वारा लोगों के लिए सार्वजनिक सुविधाओं पर खर्च शामिल होता है। सरकार द्वारा सार्वजनिक सुविधाओं पर अधिक धन का खर्च एक बेहतरीन जीडीपी को दर्शाता है।
चूंकि उत्पादन की कीमतें महंगाई के साथ-साथ घटती बढ़ती रहती हैं, इसलिए जीडीपी को दो तरीकों से प्रस्तुत किया जाता है।
इसका पहला पैमाना है “Constant Prise“, इसके अन्तर्गत उत्पादन मूल्य और जीडीपी दर एक निर्धारित आधार वर्ष के उत्पादन की कीमत से तय किया जाता है।
जबकि इसका दूसरा पैमाना है “Current Prise”, इसमें उत्पादन वर्ष की वर्तमान महंगाई दर को शामिल किया जाता है।
- Constant Prise GDP : इसके अन्तर्गत भारत का Central Statistics Office (CSO), उत्पादन व सेवाओं के मूल्यांकन के लिए कोई एक आधार वर्ष (Base Year) निर्धारित करता है जैसे 2015, तथा इस वर्ष के दौरान कीमतों को आधार बनाकर किसी अन्य वर्ष में उत्पादन की कीमत और तुलनात्मक वृद्धि दर तय की जाती है और इसे ही कॉस्टैंट प्राइस जीडीपी कहा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जीडीपी की दर को महंगाई से अलग रखकर सही तरीके से मापा जा सके।
- Current Prise GDP : इसके तहत, यदि जीडीपी के उत्पादन मूल्य में महंगाई की दर को जोड़ दिया जाए तो हमें आर्थिक उत्पादन की मौजूदा कीमत हासिल होती है, यानी कि आपको कॉस्टैंट प्राइस जीडीपी में तात्कालिक महंगाई दर को Add करना होता है।
दोस्तों चलिए अब हम इनको एक उदाहरण द्वारा समझ लेते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि 2015 में देश में 100 रुपए की 6 वस्तुएं बनी तब कुल जीडीपी 600 रुपए होगी, और 2019 तक आते-आते वस्तुओं का उत्पादन 4 रह जाता है
लेकिन उसकी कीमत 150 रुपए हो जाती है, तब भी जीडीपी 600 रुपए ही रहती है, लेकिन यहां हुआ क्या? क्या देश पहले की तुलना में बेहतर हुआ?
इसी का पता लगाने के लिए Base Year का Concept काम में आता है। 2015 की Constant Prise 100 रुपए के आधार पर 2019 की वास्तविक जीडीपी 400 रुपए होगी, इसके बाद अब हम यह साफ-साफ कह सकते हैं कि पहले की तुलना में जीडीपी में गिरावट हुई है।
How GDP Is Calculated
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