मेहरानगढ़ किले का इतिहास के बारे में लगभग सभी लोग जानते है। जो व्यक्ति बहुत ज्यादा घूमते है, जिन्हें नयी-नयी जगहों के बारे में जानने की रूचि है या फिर जिन्हें घूमना पसंद है तो आज का यह आर्टिकल इन लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होने वाला है।
जी हाँ दोस्तों, इससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़िये। चलिये शुरू करते है।
जैसा की आप सभी जानते है कि भारत अपने किलों, मंदिरों व अपने प्राचीन इतिहास के लिए जाना जाता है। भारत में बहुत से ऐसे प्राचीन किले है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
जिन्हें देखने के लिए विश्व के चारों कोनों से लोग आते है। आज हम आपको एक ऐसे ही किले के बारे में बताने जा रहे है जो कि अपनी प्राचीनता के लिए सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है और इस किले का नाम है Mehrangarh Fort।
Mehrangarh Fort भारत के सबसे प्राचीन किलों में से एक है। यह किला भारत की समृद्धि व महानता का प्रतीक है। मेहरानगढ़ किला जोधपुर में स्थित है और यह किला जोधपुर का सबसे बड़ा किला है।
दोस्तों आज मैं आपको इसी किले के सम्पूर्ण इतिहास के बारे में बताऊँगा। इसलिए यह आर्टिकल थोड़ा लंबा हो सकता है। अतः आपसे निवेदन है कि इसे पूरा जरूर पढ़िये।
मेहरानगढ़ किले का इतिहास |
मेहरानगढ़ किले के निर्माण का सम्पूर्ण श्रेय राठौड़ वंश के मुख्य शासक राव जोधा को दिया जाता है। राव जोधा ने सम्पूर्ण जोधपुर का निर्माण किया था। उन्होंने 1459 मारवाड़ की खोज की थी।
प्राचीन काल में जोधपुर शहर मारवाड़ के नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम मारवाड़ से जोधपुर कर दिया था। राव जोधा के पिता का नाम राव रणमल था।
राव रणमल के 24 पुत्र थे जिनमें से एक राव जोधा थे। राव जोधा 15 वें राठौड़ शासक थे। जब रणमल ने अपने सिंहासन का विलय अपने सभी पुत्रों में किया तो राव जोधा ने सिंहासन विलय के एक साल बाद जोधपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय किया।
राव जोधा के अनुसार कईं हजार साल पुराना मंडोर का किला बहुत ज्यादा सुरक्षित नही था। सुरक्षा को देखते हुए जोधपुर उनके शासन के विस्तार लिए सबसे सही जगह थी। मंडोर किला राव जोधा के पूर्वज राव चूड़ा ने 1394 में जीत था।
राव जोधा ने अपने भरोसेमंद सहायक राव नारा के साथ मिलकर मेवाड़ की सेना को मंडोर में ही परास्त कर दिया ओर अपने दल में मिला लिया। राव जोधा के सहायक राव नारा, राव समरा के पुत्र थे।
इसके बाद राव जोधा ने राव नारा को दीवान का पद प्रदान किया। राव जोधा ने अपने दीवान राव नारा के साथ मिलकर 12 मई 1459 को नये किले के आधार की नींव रखी।
यह किला मंडोर से 9 किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर है जबकि राजस्थान के जोधपुर शहर से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर स्थित है। इस किले का निर्माण महाराज जसवंत सिंह ने पूरा किया।
इस किले का निर्माण एक चट्टानी पहाड़ी पर किया गया था। इस पहाड़ी को भोर चिड़िया के नाम से जाना जाता है।राजस्थानी भाषा के उच्चारण के अनुसार मिहिरगढ़ बदलकर मेहरानगढ़ बन गया। राठौड़ वंश के मुख्य देवता सूर्य भगवान माने जाते है।
एक पौराणिक गाथा के अनुसार जिस पहाड़ी पर Mehrangarh Fort का निर्माण कार्य शुरू हुआ था उस पहाड़ी पर पहले से ही कईं मानव लोग रहते थे
जिनमें साधु भी थे। फिर जब किले का निर्माण कार्य शुरू करने के लिए वहाँ से लोगों को हटाया गया तो चिड़ियानाथ नाम के संन्यासी ने जाने से मना कर दिया तो फिर संन्यासी से जबरदस्ती की गयी। तब संन्यासी ने राव जोधा को शाप दिया कि एक समय में तुम्हारें किले में पानी का अकाल पड़ जाएगा।
इसके बाद राव जोधा ने संन्यासी के शाप से बचने के लिए उनके लिए घर बनवाया और किले में के मन्दिर भी बनवाये गये। इन मंदिरों में संन्यासी अपना ध्यान लगाते थे।
ऐसा करने के बावजूद भी संन्यासी के शाप का असर आज तक भी खत्म नही हुआ है। आज भी यहाँ 3 से 4 साल के बीच पानी की बहुत कमी महसूस होती है।
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मेहरानगढ़ किले की बनावट व संरचना |
मेहरानगढ़ किले का निर्माण सुंदर बलुआ पत्थरों से किया गया था। इस किले की चौड़ाई 68 फीट और ऊँचाई 117 फीट है। मेहरानगढ़ किला शहर से 410 फीट की ऊँचाई पर बना हुआ है।
इस किले की दीवारें बहुत ऊंची व मोटी है। Mehrangarh Fort शहर के बिल्कुल मध्य में स्थित है ओर यह किला 120 मीटर ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है।
यह किला दिल्ली की कुतुब मीनार से भी ऊँचा है। कुतुब मीनार की ऊँचाई 73 मीटर है। मेहरानगढ़ किले की दीवारों की ऊँचाई 36 मीटर व चौड़ाई 21 मीटर है। इस किले की दीवारें 10 किलोमीटर तक फैली हुई है। इस किले में बहुत से महल है जो कि अपनी नक्काशी व महँगे आँगन के लिए प्रसिद्ध है।
Mehrangarh Fort में प्रवेश करने के लिये घुमावदार रास्ता है। इस किले पर कईं बार आक्रमण हुए है जिनमें से इस किले को सबसे अधिक क्षति आमेर द्वारा किये गए हमले ने पहुँचाई थी।
आमेर की सेना द्वारा किये गये तोपों के गोलों के आक्रमण की छवि आज भी सपष्ट रूप से दिखाई देती है। मेहरानगढ़ किले के बायीं तरफ किरण सिंह सोडा की छत्री है। किरण सिंह सोडा एक सैनिक थे जिन्होंने मेहरानगढ़ किले की रक्षा करते हुए शहीद हो गये थे।
मेहरानगढ़ किले में कुल 7 दरवाजे है।
1. जय पोल (विजय द्वार):
इस दरवाज़े का निर्माण महाराजा सवाई मान सिंह ने सन 1806 में करवाया था।
2. फतेह पोल (विजय द्वार):
इस दरवाज़े का निर्माण महाराजा अजीत सिंह ने सन 1707 में मुगलों पर फतह प्राप्त करने की खुशी में किया गया था।
3. लोह पोल (लोह द्वार):
लोह द्वार, मेहरानगढ़ किले के परिसर के मुख्य द्वार का अंतिम भाग है। इस द्वार कस बायीं तरफ सती प्रथा महिलाओं के हाथों के निशान पाये जाते है। जिनमें से सन 1843 में महाराजा मान सिंह की रानी ने अपने पति की चिता में स्वयं को भी जला लिया था।
मेहरानगढ़ किले में बहुत से सुंदर महल है
1. मोती महल:
मोती महल को पर्ल पैलेस भी कहा जाता है। यहाँ Mehrangarh Fort History का सबसे बड़ा कमरा है। यह महल राजा सूर सिंह ने बनवाया था। यहाँ राजा अपनी प्रजा से मिलते थे।
2. फूल महल:
Mehrangarh Fort में फूल महल राजा का निजी कक्ष होता था। फूल महल को फूलों के महल के नाम से भी जाना जाता है। इस महल की छत को सोने के द्वारा बनाया गया है। इस महल में विशालकाय कमरें है।
3. शीश महल:
मेहरानगढ़ किले में शीश महल का निर्माण सुन्दर शीशे से हुआ है। यहाँ पर पर्यटक अद्वितीय धर्म की आकृतियों को देख सकते है। इस महल को शीशे के हॉल के नाम से भी जाना जाता है।
4. झाँकी महल:
मेहरानगढ़ किले में झाँकी महल से महल की शाही औरतें सरकारी कार्यों की गतिविधियों पर दृष्टि रखती थी। वर्तमान में यह महल शाही पालनों का विशाल संग्रह है।
5. सिलेह खाना
6. दौलत खाना
मेहरानगढ़ किले के मुख्य पर्यटन स्थल |
1. चामुण्डा माता का मंदिर:
2. 2008 भगदड़
3. साहसिक गतिविधियां
4. राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक स्मारक
मेहरानगढ़ किले का संग्रहालय |
मेहरानगढ़ किले के संग्रहालय में बहुत सी खास वस्तुओं को संजो कर रखा गया है। यहाँ पर हाथी हौदा, शाही पालना, लघु चित्र, वेशभूषा, फर्नीचर और वाद्ययन्त्र मौजूद है।
गैलरी:
1. हाथी हौदा:
मेहरानगढ़ किले में हाथी हौदा 2 लकड़ियों की चादर से मिलकर बना है। ये चादर सोना व चाँदी की परतों से ढकी हुई है। यह हाथी की पीठ पर बंधी हुई है। इसमें 2 विभाग है।
पहले विभाग में पैर रखने के लिए ज्यादा जगह ओर एक ऊपर उठी हुई धातु की सुरक्षित चादर है। इसका तात्पर्य राजा व राजा के शाही राजस्व से है। दूसरा विभाग छोटा है जो कि विश्वासपात्र सैनिकों के लिए बनाया गया है।
2. दौलत खाना:
यहाँ पर मेहरानगढ़ किले का का खजाना रखा हुआ है। यह संग्रहालय भारतीय इतिहास के मुगल शासन काल की सबसे संरक्षित व महत्वपूर्ण गेलरी है। जब यहाँ पर राठौड़ शासन करते थे उस समय जोधपुर व मुगलों के बीच महत्वपुर्ण घनिष्ठ संबंध थे। मुगल सम्राट अकबर के कुछ अवशेष यहाँ मौजूद है।
3. पालकी:
मेहरानगढ़ किले में 20वीं सदी में पालकियों का उपयोग महिलाओं के घूमने के लिए किया जाता था। पालकी यात्रा के लिए एक उपयुक्त साधन हुआ करती थी। इनका उपयोग मुख्यतः शाही व्यक्ति करते थे।
4. शस्त्रागार:
यहाँ पर जोधपुर के सभी युगों के दुर्लभ कवच मौजूद है। यहाँ पर तलवार की जेड, चाँदी, हाथी के दाँत, राइनो के सिंग, हीरों से जड़ा कवच, मोती, पन्ना व बंदूकें है जिसकी बाहरी नली सोना व चाँदी से निर्मित है। मेहरानगढ़ किले के संग्रहालय में राजाओं की तलवारें भी मौजूद है। यहाँ पर राव जोधा की तलवार के कुछ अवशेष है जिसका वजन लगभग 3 किलो है। इसके अलावा यहाँ पर महान अकबर व तैमूर की तलवारें भी मौजूद है। Mehrangarh Fort History
5. चित्रकारी:
मेहरानगढ़ किले में जोधपुर और मारवाड़ की रंगों की शेली की समानता को चित्रित किया गया है। यहाँ पर मारवाड़ के चित्रों के आकर्षक नमूने है।
6. पगड़ी:
मेहरानगढ़ किले के संग्रहालय में जोधपुर की प्रसिद्ध पगडियों के कईं प्रकार के नमूनें मौजूद है। तथा यहाँ पर कईं दस्तावेज भी रखे हुए है।
Mehrangarh Fort History में हॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। जिसमें फ़िल्म Batman – The Dark Night के कुछ दृश्य यहीं पर शूट किये गये है। यहाँ पर Bruce Wayne को कैद करने तथा जेल पर आक्रमण के कुछ दृश्य दर्शाए गए थे।
मेहरानगढ़ किले के संग्रहालय का प्रवेश शुल्क:
भारतीय निवासी | 60 रुपये | ||||
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भारतीय बच्चें व बुजुर्ग | 30 रुपये | ||||
विदेशी पर्यटक | 400 रुपये | ||||
कैमरा शुल्क |
100 रुपये | ||||
वीडियो कैमरा शुल्क | 200 रुपये | ||||
मार्गदर्शन शुल्क |
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मेहरानगढ़ किले में प्रवेश समय | 9.00 am – 5.00 pm | ||||
मेहरानगढ़ किले में प्रवेश अवधि | 1 – 3 घण्टे |
मोबइल नम्बर (ऑफिस): 91-291-2548790/2548992/2541447
ऑफिसियल वेबसाइट: Www.mehrangarh.org
रेलवे स्टेशन: रायका बाग रेलवे स्टेशन
मेहरानगढ़ किले का पता: द फोर्ट, सोदागरण मोहल्ला, जोधपुर, राजस्थान 342006
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