वैसे तो राजस्थान अपने गौरवशाली किलों के लिए जाना जाता है। राजस्थान में बहुत से प्राचीन किले है, जिनका इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में लिखा हुआ है। आज हम राजस्थान के एक ऐसे ही किले के बारे में बात करेंगे, जिसका इतिहास बहुत ही रोचक व सराहनीय है। जी हाँ दोस्तों, यह राजस्थान के सभी किलों में सबसे खास किला है।
यह किला खास इसलिए है क्योंकि, इस किले को अभी तक कोई भी आक्रमणकारी भेद नही पाया है। यह किला अजेय किला है। इस किले का नाम है- लोहागढ़ किला। इस किले के इतिहास के बारे में पूरी जानकारी इस आर्टिकल में दी गयी है। आपसे अनुरोध है कि इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए। तो चलिये शुरू करते है
लोहागढ़ का किला
Lohagarh Fort राजस्थान राज्य के भरतपुर ज़िले में स्थित है। इस किले का निर्माण सन 1733 ईस्वी में जाट वंश के महाराजा सूरजमल ने करवाया था। इन्होंने ने भरतपुर शहर को बसाया था। लोहागढ़ का किला भारत के इतिहास में अजेय दुर्ग के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इस किले के इतिहास में जितने भी योद्धाओं ने इस किले पर आक्रमण किये है।
उनमें से कोई भी योद्धा इस किले पर विजय हासिल नही कर पाया है। लोहागढ़ के किले को राजस्थान का पूर्व सिंहद्वार भी कहते है। लोहागढ़ के किले का निर्माण करवाते समय यहाँ के राजा सूरजमल ने एक ऐसे किले की रूपरेखा तैयार की, जो कि बहुत शक्तिशाली व मजबूत हो और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि, यह किला कम पैसों में बन जाए।
लोहागढ़ का किला इसकी तैयार की गयी रूपरेखा से कईं गुना ज्यादा खरा उतरा है। लोहागढ़ के किले के निर्माण में विशेष युक्तियों का प्रयोग किया गया था। जिससे बारूद के गोलों के आक्रमण से भी दीवार बिलकुल सुरक्षित रहे।
Lohagarh Fort Bharatpur
यह दीवारें मिट्टी की बनी हुई है। इस किले के निर्माण के समय सबसे पहले पत्थरों की एक चौड़ी व ऊँची दीवार बनाई गयी। ताकि इस पर तोप के गोलों का असर नही हो। फिर इस दीवार के चारों तऱफ कईं सैकड़ो फ़ुट चौड़ी कच्ची मिट्टी की दीवार बनाई गयी थी।
इस किले के नीचे की तरफ़ एक गहरी खाई बना दी गयी और उसमें पानी भर दिया गया। इस कारण खाई पर करके दिसर पर चढ़ना असम्भव था। यही कारण है कि इस किले पर आक्रमण करना आसान काम नही था।
तोप से किये गए हमलों में तोप के गोले कच्ची मिट्टी की दीवारों में धंस जाते थे। सैकड़ो गोलों के वार झेलने के बाद भी यह दीवार ऐसे ही बनी हुई है।
राजस्थान का इतिहास लिखने वाले प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने भी कहा कि ऐसी संरचना के बाद इस किले पर आक्रमण करना लोहे के चने चबाने जैसा है। अपने इसी गौरवमयी इतिहास के कारण लोहागढ़ का किला, अजेय दुर्ग के नाम से जाना जाता है।
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लोहागढ़ किले का इतिहास
वैसे तो लोहागढ़ के किले पर इसके इतिहास में अनेक आक्रमण हुए है, लेकिन इस किले पर विजय कोई भी योद्धा हासिल नही कर पाया। लोहागढ़ के किले के पराजित न होने का कारण इस किले की बनावट व संरचना है। जिसको हमने नीचे बताया है।
लोहागढ़ किले पर इसके पड़ोसी राज्यों, मुस्लिम शासकों व अंग्रेजों ने भी आक्रमण किये, लेकिन सभी असफल साबित हुए। सन 1803 ईस्वी में लॉर्ड लेक ने बारूद से इस किले को नष्ट करना चाहा, लेकिन बारूद के धमाकों से भी इस किले को किसी प्रकार की हानि नही हुई।
सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि, पूरे भारत देश पर राज करने वाले अंग्रेज भी इस किले पर विजय हासिल नही कर पाये थे। अंग्रेजों ने इस किले पर कुल 13 बार अपनी तोपों के साथ हमला किया, लेकिन फिर भी अंग्रेज़ो को परास्त ही होना पड़ा। यह बात अपने-आप में इस किले की महानता को दर्शाती है।
लोहागढ़ किले की बनावट व संरचना |
दोस्तों, लोहागढ़ का किला अजेय किला कहलाता है। इसके पीछे का कारण है- Lohagarh Fort की बनावट व संरचना। लोहागढ़ किले के चारों तरफ मिट्टी की दोहरी दीवारें बनी हुई है। इसलिए लोहागढ़ किले को मिट्टी का दुर्ग भी कहा जाता है। इस किले चारों तरफ़ गहरी खाई है। इस खाई में पानी सुजानगंगा नहर द्वारा मोती झील से लाया गया है।
अगर बात Lohagarh Fort के प्रवेश द्वार की करें तो, लोहागढ़ किले में 2 प्रवेश द्वार है। जिनमें से उत्तरी दिशा का प्रवेश दसर अष्टधातु से बना हुआ है। इस द्वार को सन 1765 ईस्वी में जवाहर सिंह जाट ने दिल्ली पर विजय प्राप्त करने के बाद, लाल किले से उतारकर लाये थे।
इस दरवाज़े की एक मुख्य ख़ासियत यह है कि इस दरवाज़े में लोहे का एक टुकड़ा भी मौजूद नही है। यहाँ पर दीवान-ए-खास के जैसा कचहरी कला का नमूना है। भरतपुर के सभी जाट वंश के राजाओं का राज्यभिषेक जवाहर बुर्ज में किया जाता था। इसके अलावा यहाँ पर फ़तेह बुर्ज भी स्थित है। जिसका निर्माण अंग्रेज़ोे को युद्ध में हराने की खुशी में किया गया था।
Lohagarh Fort Architecture
भरतपुर के इस Lohagarh Fort में कुल 8 रक्षक भाग व अनेक बुर्ज है। इस किले में बहुत से ऐतिहासिक स्थान मौजूद है। जिनमें, किशोरी महल, मोती महल, महल खास व कोठी खास प्रमुख है। इनके अलावा यहाँ बहुत से मंदिर भी है। जिनमें, गंगा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर तथा बिहारी जी का मंदिर प्रमुख है।
दोस्तों, आपको ये स्थान बहुत पसंद आएंगे। यहाँ पर एक बहुत बड़ी जामा मस्ज़िद भी है। ये सभी मंदिर और मस्जिदें सम्पूर्ण लाल रंग के पत्थरों से बनी है। इनके बारे में एक बहुत ही रोचक कहानी प्रचलित है।
कहानी के अनुसार लोगों का मानना है कि यहाँ के राजा जब किसी व्यक्ति को नौकरी पर रखते थे तो, उस व्यक्ति के सामने एक शर्त रखते थे कि महीने के अंत में उसकी पगार में से एक पैसा धर्म के कार्य के लिए काट जायेगा। यह शर्त सभी को मंजूर होती थी।
यह एक पैसा उस व्यक्ति के धर्म खाते में जमा होता था। जिनमें हिन्दू लोगों के पैसे, हिंदुओं के धर्म-खाते में तथा मुस्लिम लोगों के पैसे मुस्लिम धर्म-खातों में जमा होते थे। इन राशि का प्रयोग मंदिर व मस्ज़िद निर्माण कार्य में होता था। लक्ष्मण मंदिर, गंगा मंदिर व जामा मस्ज़िद इन्ही राशियों से बनाई गयी है।
लोहागढ़ किले का प्रवेश शुल्क: Lohagarh Fort में प्रवेश के लिए किसी प्रकार का कोई भी शुल्क नही है। आप यहाँ मुफ्त में घूम सकते है।
लोहागढ़ किले में प्रवेश अवधि: 1 -2 घण्टे
लोहागढ़ किले में प्रवेश समय: 9:00 A.M. – 5:30 P.M.
लोहागढ़ जाने का सबसे अच्छा समय: अगस्त – सितंबर
लोहागढ़ पहुँचने के साधन: लोहागढ़ किले तक आप आसानी से किसी भी ऑटो-रिक्शा या बस के माध्यम से पहुँच सकते है।
आवश्यक निर्देश व चेतावनी:
दोस्तों, लोहागढ़ की सड़के लम्बी घुमावदार व ढ़लान वाली है। मानसून के समय यहाँ फिसलन हो जाती है। इसलिए अगर आप यहाँ मानसून में सफ़र कर रहे है तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए।
तो दोस्तों, यह था भारतीय इतिहास में अजेय रहने वाला लोहागढ़ किले का इतिहास। आशा करता हूँ कि Lohagarh Fort History के बारे में दी गयी जानकारी आप सभी को पसंद आयी होगी।
अंत में दोस्तों में सिर्फ यही कहना चाहता हूँ कि Lohagarh Fort के जैसा अन्य किला शायद ही कोई और होगा। आशा करता हूँ की Lohagarh Fort के बारे में दी गयी जानकारी आपको जरूर पसंद आयी होगी। आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
अगर आपके मन में Lohagarh Fort History से सम्बंधित किसी भी प्रकार का प्रश्न है तो आप हमसें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। हम आपके प्रश्न का जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। आगे भी हम आपके लिए ऐसे ही उपयोगी आर्टिकल लाते रहेंगे।
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