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जैसलमेर किले का इतिहास और कहानी

भारत अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। भारत में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक धरोहरें है। इन ऐतिहासिक धरोहरों में प्राचीन किले, मंदिर तथा महल है। इन्हें देखने बहुत से पर्यटक यहाँ आते है।

जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल है। आज हम आपको ऐसी ही एक ऐतिहासिक धरोहर के बारे में बतायेंगे। जिसका नाम है- जैसलमेर का किला। तो चलिये दोस्तों शुरू करते है।

दोस्तों, जैसलमेर का किला राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में स्थित है। इस किले में विश्व की सबसे बड़ी किलाबंदी है। जैसलमेर का किला एक विश्व धरोहर है। यह किला दुनिया के सबसे बड़े किलों में से एक है।

इस किले का निर्माण सन 1156 ईस्वी में राजपूत शासक रावल जैसल ने किया था। इस कारण इस किले का नाम उनके नाम पर जैसलमेर रखा गया।

जैसलमेर का किला थार मरुस्थल के त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है। यह किला शहर के बीचों-बीच स्थित है। इस किले में बहुत से ऐतिहासिक युद्ध हुए है। जैसलमेर किले की दीवारें पीले रंग के बलुआ पत्थरों से बनी हुई है। इस कारण दिन में सूरज की रौशनी में किले की दीवारें सुनहरे रंग की दिखाई देती है। इसलिए इस किले को सोनार किला भी कहते है।

सन 2013 में कोलम्बिया के फ्नोम पेन्ह में आयोजित हुई 37वीं विश्व धरोहर समिति में जैसलमेर किले को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया। देश-विदेश से पर्यटक यहाँ घूमने आते है।

जैसलमेर किले का इतिहास

दोस्तों, जैसलमेर का किला सन 1156 ईस्वी में रावल जैसल द्वारा बनवाया गया था। रावल जैसल ने इस किले का निर्माण इसीलिए करवाया था क्योंकि गौर के सुल्तान द्वारा रचे गए षड्यंत्र में रावल जैसल फँस गए थे। इस कारण उन्हें अपने किले को गवाना पड़ा।

इसलिए उन्होंने एक नये किले का निर्माण करवाया। जिसका नाम जैसलमेर का किला था। जैसलमेर का किला त्रिकुटा पहाड़ पर स्थित है। जो कि थार रेगिस्तान के पास ही है। रावल जैसल ने ही जैसलमेर की स्थापना की थी। उन्होंने जैसलमेर को अपनी राजधानी भी बनाया।

सन 1276 ईस्वी में जेत्सी के राजा ने दिल्ली के सुल्तान पर आक्रमण कर दिया। उन्होंने 56 दुर्गों की चढ़ाई अपने 3700 सैनिकों के साथ की थी। आक्रमण के करीब 8 वर्ष बाद सुल्तान की सेना ने महल का विनाश कर दिया।

उसके बाद भाटी वंश ने किले पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। लेकिन उनके पास शक्ति का कोई साधन नही था।

सन 1306 में दोदू ने शक्तिपूर्वक राठोड़ो को बाहर निकाल दिया था। इस कारण उन्हें इस किले का शासक चुना गया। तभी से इज़ किले का निर्माण कार्य शुरू हुआ। दोदू की सेना मुग़ल सम्राज्य के सामने बहुत छोटी थी। इस कारण उसने सन 1570 में अपनी पुत्री का विवाह मुग़ल सम्राट अकबर के साथ कर दिया।

13वीं शताब्दी में अलाउद्दीन ख़िलजी ने जैसलमेर किले पर आक्रमण करके उस पर विजय हासिल कर ली। उसके पास यह किला 9 वर्षों तक था। सन 1541 ईस्वी में मुग़ल सम्राट हुमायूँ ने जैसलमेर किले पर हमला किया। उस समय जैसलमेर वह युद्ध हार गया। हार के बाद महल की राजपूत महिलाएं स्वयं को जौहर में समर्पित कर दी।

सन 1762 ईस्वी तक जैसलमेर का किला मुग़लों के पास ही था। किन्तु इसके बाद महारावल मूलराज ने मुग़लों को परास्त करके इस किले पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। महारावल मूलराज व भारतीय कम्पनी के मध्य 12 दिसंबर, सन 1818 को एक समझौता हुआ।

जिसमें राजा को ही जैसलमेर किले का उत्तराधिकारी घोषित किया गया।उन्हें आक्रमण के समय सुरक्षा भी दी जाती थी। सन 1820 में महारावल मूलराज की मृत्यु हो गयी। इसके बाद उनके पोते गज सिंह को उत्तराधिकारी बना दिया गया।

जैसलमेर किले का इतिहास |

जैसलमेर किले की दीवारें 3 परतों में है। किले की बाहरी परत मजबूत पत्थरों से बनी हुई है। दुसरी परत चारों तरफ से सांप के आकार की बनी हुई है। एक बार युद्ध के समय समय राजपूत शासकों ने अपने दुश्मनों पर गर्म पानी व फेल फेंक कर उन्हें पकड़ा था। जैसलमेर किले की सुरक्षा के लिए कुल 99 दुर्ग बनाये गए थे। जिनमें से 92 दुर्ग सन1633 से 1647 ईस्वी के मध्य बनाये गए थे

एक समय व्यापार की दृष्टि से जैसलमेर ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। पर्शिया, अफ़्रीका, अरबिया और इजिप्ट से व्यापार किया करते थे। लेकिन ब्रिटिश शासन के आने के बाद बॉम्बे बन्दरगाह पर समुद्री व्यापार की शुरुआत हुई। इससे बॉम्बे का विकास हुआ।

लेकिन इसके साथ जैसलमेर की आर्थिक स्थिति ख़राब हो गयी। स्वतंत्रता प्राप्ति तथा भारत विभाजन के बाद प्राचीन व्यापार पूफी तरह से बन्द हो चुका था। इससे जैसलमेर की छवि धूमिल होती गयी। लेकिन सन 1965 व 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्द में जैसलमेर किले ने अपनी महानता को फिर से साबित किया।

जैसलमेर किला बहुत ही विशाल किला है। इस किले के अंदर पूरी जनता आराम से रह सकती है। वर्तमान में वहाँ 4,000 से भी अधिक लोग रहते है। जिनमें ब्राह्मण, दरोगा समुदाय के लोग है। ये लोग भाटी शासकों के समय से वहाँ रह रहे है। ये उनके पास काम करते थे। Jaisalmer Fort History in Hindi

जैसलमेर किले की बनावट व संरचना |

यह किला अपने आकार में बहुत विशाल है। इस किले की लंबाई 1500 फ़ीट तथा चौड़ाई 750 फ़ीट है। यह किला ऊंचाई वाले स्थान पर स्थित है। इस किले में प्रवेश के लिए कुल 4 द्वार है। जिनमें से एक द्वार पर तोप लगी हुई है। राजस्थान के धनी व्यापारियों ने यहाँ बहुत सी बड़ी-बड़ी हवेलियां बनवायी है।

जिनमें से कुछ हवेलियां तो सैंकड़ो वर्षों पुरानी है। यहाँ पीले पत्थर से बनी बहुत सी हवेलियां है। कईं हवेलियों में तो अनगिनत कमरे व बहु-मंजिला इमारतें है। इनकी खिडकियों को राजसी रूप से सजाया गया है तथा दरवाजों पर मनमोहक कलाकृतियां बनी हुई है।

इनमें से कईं हवेलियां तो आज संग्रहालय में बदल चुकी है। लेकिन बहुत सी हवेलियों में आज भी लोग रहते है। व्यास हवेली में आज भी लोग निवास करते है। यह हवेली 15वीं शताब्दी में बनी थी। श्रीनाथ भवन नाम की हवेली में जैसलमेर के प्रधान रहा करते थे।

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जैसलमेर किले के महत्वपूर्ण स्थान |

राजमहल:

राजमहल बहुत ही आकर्षक व सुंदर महल है। यह महल एक शाही महल है। यह महल सुबह 9 बजे खुलता है तथा शाम के 5 बजे बन्द होता है। यह महल सात मंजिला ईमारत है।

जैन मंदिर:

जैन मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। जैन धर्म के लोग इस मंदिर को तीर्थ कद समान पूजते है। वे यहाँ पर बहुत बड़ी संख्या में आते है। इससे पता चलता है कि जैन मंदिर बहुत खास है। इस मंदिर में एक प्रवेश द्वार है। जिसका नाम तोरण द्वार है। यह द्वार पार्श्वनाथ मंदिर की तरफ जाता है।

लक्ष्मीनाथ मंदिर:

लक्ष्मीनाथ मंदिर की स्थापना सन 1494 में राव लूणकरण के शासनकाल के दौरान की गयी थी। इस मंदिर की स्थापना देवी लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की पूना करने के लिए की गयी थी। इस मंदिर में कईं राजस्थानी शैली के चित्र भी है। जो लोगों की संस्कृति कद बारे में बताते है।

जैसलमेर किले का प्रवेश शुल्क:

भारतीय – 50 रुपये

विदेशी – 250 रुपये

जैसलमेर किले में प्रवेश समय: 6:00 AM – 5.00 PM

जैसलमेर किले में प्रवेश अवधि: 2 – 3 घण्टे

जैसलमेर किले का पता: फोर्ट रोड़, गोपा चौक के पास, अमर सागर पोल, जैसलमेर, राजस्थान 345001

मैं आशा करता हूँ कि Jaisalmer Fort History के बारें में मैंने आपको जो कुछ बताया है वह आपको अच्छा लगा होगा। मुझे पता है कि आपको भी वहाँ जाने की इच्छा हो रही होगी। अगर आप जैसलमेर जाना चाहते हैं तो आपको शीत ऋतु में वहाँ जाना चाहिए क्योंकि जैसलमेर किला राजस्थान में स्थित है और राजस्थान एक गर्म प्रदेश है।

अगर आपके मन में Jaisalmer Fort History से सम्बंधित किसी भी प्रकार का प्रश्न है तो आप हमसें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। हम आपके प्रश्न का जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। आगे भी हम आपके लिए ऐसे ही उपयोगी आर्टिकल लाते रहेंगे।

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